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सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

The Child of Silence – खामोशी की संतान

 😱 “The Child of Silence – खामोशी की संतान” 😱  

क्या आप तैयार हैं उस डर के लिए जो शब्दों से परे है?  

यह कहानी जोगिन तारा की है, एक मासूम बच्ची, जिसकी खामोशी में मौत छुपी है। रूस के खोव्रिन गाँव से ऑस्ट्रेलिया के Ravenswood Monastery तक फैली इस भयानक कहानी में प्रेतात्माएँ, भूखी परछाई, और छायाओं का भोज आपका दिल दहला देगा।  


उसकी आँखों में कोई मानवता नहीं, उसकी मुस्कान में मौत की सिहरन…  

क्या आप उस पल का सामना कर सकते हैं जब “Silence is my mother, and hunger my friend”?  


👁️ पढ़ें पूरी कहानी और महसूस करें असली डर:  

- भूतिया घटनाएँ  

- छायाओं का भोज  

- Ravenswood Monastery के रहस्य  

- जोगिन तारा की भयानक शक्ति  


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शीर्षक: The Child of Silence – खामोशी की संतान
भाग 1 : मृत संगीत की गूंज

By Reax

Genre: Supernatural Psychological Horror

Set in: Russia & Australia

Language: Hindi, Rasiyaan, English (Realistic Horror Novel Style)


रूस, 1996 – वोल्गोग्राद शहर के पास एक छोटे से गाँव "खोव्रिन" की ठंडी रात।

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सर्दी इतनी कड़ी थी कि बर्फ़ की मोटी परतों ने पूरे गाँव को सफ़ेद कफ़न की तरह ढँक रखा था। चारों ओर बस हवा की सरसराहट और दूर किसी चर्च की टूटी घंटी की मद्धम झंकार सुनाई दे रही थी। उसी रात, गाँव के किनारे बने एक पुराने लकड़ी के घर में, “जोगिन तारा” का जन्म हुआ।

उसके जन्म के साथ ही कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे गाँव का चेहरा सदा के लिए बदल दिया।
उसकी माँ, एलिज़ाबेथा, प्रसव के कुछ ही पलों बाद खून में लथपथ मर गई। और जब पिता इवान मिखाईलोविच नवजात बच्ची को अस्पताल से घर ला रहे थे, तो रास्ते में उनकी कार एक पुराने रेलवे पुल से नीचे जा गिरी। कार पूरी तरह जलकर राख हो गई — पर बच्ची जोगिन तारा किसी तरह उस हादसे से बिलकुल सुरक्षित बाहर निकल आई।

लोग कहते थे, “उस दिन बर्फ़ में कुछ चलता हुआ देखा गया था... कोई छोटा साया, जिसने बच्चे को गोद में उठाया और दूर जंगल की ओर गायब हो गया।”
कोई उसे मानता, कोई हँस देता — पर उस घटना के बाद से खोव्रिन गाँव में कभी शांति नहीं रही।


बचपन की पहली परछाई

तारा जैसे-जैसे बड़ी होने लगी, उसके चारों ओर मौत का साया गहराता गया।
जब वह सिर्फ छह महीने की थी, उसका बड़ा भाई निकोलाई (14 वर्ष) अपने घर के बेसमेंट में मरा हुआ मिला

शरीर की हालत देखकर पुलिस भी सन्न रह गई।
उसकी बॉडी पर हज़ारों छोटे-छोटे काटने के निशान थे। ऐसा लग रहा था जैसे सैकड़ों चूहों ने उसे ज़िंदा कुतर डाला हो।
लेकिन अजीब बात यह थी कि बेसमेंट में एक भी चूहा नहीं मिला।
दीवारों पर खून के छींटे किसी घूमती हुई आकृति की तरह थे — जैसे किसी ने अपने शरीर को दीवारों पर घसीटा हो।

तारा उस वक़्त अपने पालने में मुस्कुरा रही थी।
वह मुस्कान इतनी शांति भरी थी कि कोई यक़ीन ही नहीं कर पाता कि उसी घर में अभी किसी की मौत हुई है।


सेंट पीटर्सबर्ग का अनाथालय

पुलिस और समाज सेवा विभाग ने उसे गाँव से दूर सेंट पीटर्सबर्ग के एक पुराने अनाथालय में भेज दिया —
"Saint Peterburg’s Camroad Orphanage", जो 1889 में बना था और अब लगभग भुतहा हो चुका था।

वहाँ तारा के आने के कुछ ही दिनों बाद से अजीब घटनाएँ शुरू हो गईं।
रात में बच्चों के कमरे से खिलौनों की आवाज़ आती। दीवारों पर खरोंचों के निशान मिलते, मानो किसी ने अपने नाखूनों से उन्हें उधेड़ा हो।
कभी किसी बच्चे की नींद में गर्दन मुड़ जाती, तो कभी कोई स्टाफ आधी रात में खून से सने हाल में पाया जाता।

जब तारा 18 महीने की हुई, एक भयानक घटना ने सब खत्म कर दिया।
एक ही रात में पूरे अनाथालय के 42 बच्चे और 7 स्टाफ सदस्य मारे गए।
मौत की तस्वीरें ऐसी थीं कि कोई देख न सका —
उनके चेहरे जैसे अंदर से चबाए गए हों, आँखें बाहर निकली हुईं, और जीभ आधी काटी हुई।

केवल एक ही बच्ची बची — जोगिन तारा।
वो अपने पालने में बैठी थी, बिना आँसू, बिना हावभाव... बस दीवार की ओर देखती हुई।
उसकी उंगलियाँ किसी अदृश्य चीज़ से खेल रही थीं, जैसे वो हवा में किसी से बात कर रही हो।


श्रापित गोद

इसके बाद, तारा को 8 अलग-अलग परिवारों ने गोद लिया।
हर परिवार के साथ वही हुआ जो अनाथालय में हुआ था —
मौतें, दुर्घटनाएँ, जलती हुई दीवारें, और उन लोगों के शरीर पर चूहों जैसे दाँतों के निशान।

आठवाँ परिवार, पेत्रोवा परिवार, जो सेंट पीटर्सबर्ग से 40 किलोमीटर दूर “गाचिना” में रहता था, उनके साथ सबसे खौफनाक घटना हुई।
रात के तीन बजे पड़ोसी ने देखा कि उनके घर से धुआँ निकल रहा है।
जब दरवाज़ा तोड़ा गया, पूरा घर काले राख में तब्दील हो चुका था।
लेकिन फर्श पर बीचोंबीच बैठी थी तारा,
सफेद ड्रेस में, जलते हुए खिलौने को पकड़े मुस्कुरा रही थी।

“माँ कहती है, अब कोई नहीं बचेगा...” उसने धीरे से कहा।
पुलिस वालों के होश उड़ गए।


खामोशी की संतान

अब कोई भी अनाथालय या परिवार उस लड़की को लेने को तैयार नहीं था।
सरकार ने उसे "Silent Child" घोषित किया — ऐसा बच्चा जिससे किसी को छूने की भी अनुमति नहीं।

पर 2004 में, अचानक ऑस्ट्रेलिया के गहरे जंगलों में बसे “रावेन्सवुड मठ” (Ravenswood Monastery) से एक कॉल आया।
एक बुजुर्ग पादरी, फादर एंथनी ग्रेव्स, ने कहा —
“हम उस लड़की को अपनाना चाहते हैं। वह शैतान की नहीं, ईश्वर की संतान है। हमें उसे मुक्त करना है।”

सेंट पीटर्सबर्ग के अधिकारियों को समझ नहीं आया कि इतने दूर, इतनी अजीब जगह से कोई क्यों तारा में दिलचस्पी लेगा।
पर उन्होंने राहत की साँस ली कि अब कोई उसे ले ही जा रहा है।


यात्रा की रात
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उसे एक ठंडी जनवरी की रात को सेंट पीटर्सबर्ग एयरपोर्ट से रवाना किया गया।
फ्लाइट SU-214, गंतव्य — मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया।

फ्लाइट के बीच में, एयरहोस्टेस ने रिपोर्ट किया कि लड़की लगातार किसी खाली सीट से बातें कर रही है।
“वो यहाँ नहीं है?” उसने मासूमियत से कहा।
“कौन, प्यारी?” — एयरहोस्टेस ने मुस्कुराकर पूछा।
लड़की ने सिर झुका लिया और फुसफुसाई —
“वो जो हमेशा मेरे साथ रहती है…”

कुछ घंटों बाद जब प्लेन मेलबर्न उतरा, तो उस फ्लाइट के दो क्रू मेंबर और एक यात्री मृत पाए गए।
उनके शरीर वही कहानी सुना रहे थे — छोटे-छोटे काटने के निशान, और चारों ओर बर्फ़ जैसी सफ़ेद धूल।
लेकिन उस प्लेन में कहीं भी बर्फ़ नहीं थी।


भाग 1 का अंत

जब तारा को रावेन्सवुड मठ में ले जाया गया, तो वहाँ के पादरीयों ने उसे देखा —
उसकी आँखें अब नीली नहीं थीं, फीकी स्लेटी रंग की हो चुकी थीं,
और उसकी हथेलियों पर सैकड़ों छोटे दाँतों के निशान थे — जैसे किसी ने उसे भी कुतर कर अपना बना लिया हो।

रात में जब पहली बार मठ की घंटी बजी, तो वहाँ के भिक्षुओं ने दीवारों पर कुछ शब्द उभरते देखे, जैसे किसी ने उन्हें खून से लिखा हो —

Silence is my mother, and hunger my friend…
(“खामोशी मेरी माँ है, और भूख मेरा साथी।”)

और उसी के बाद पूरा जंगल अंधेरे में डूब गया।
उसके बाद से किसी ने रावेन्सवुड मठ का नाम नहीं लिया...


🔔 भाग 2 : The Feast of Shadows – छायाओं का भोज
(अगले भाग में: ऑस्ट्रेलिया के रावेन्सवुड मठ में तारा का रहस्य, उस “भूखी परछाई” का असली चेहरा, और वो घटना जिसने पूरे महाद्वीप को मौत की खामोशी में डुबो दिया...)


शीर्षक: The Child of Silence – खामोशी की संतान
भाग 2 : The Feast of Shadows – छायाओं का भोज


स्थान: ऑस्ट्रेलिया, Ravenswood Monastery, उत्तरी क्वींसलैंड के गहरे, निर्जन जंगलों में।
साल 2004 की जनवरी।

वहाँ की हवा भी किसी पुरानी किताब की तरह भारी थी —
हर झोंका मानो कोई रहस्य फुसफुसा रहा था।
घने पेड़ों के बीच बना वह मठ दुनिया से बिल्कुल कटा हुआ था —
कोई मोबाइल सिग्नल नहीं, कोई सड़क नहीं,
सिर्फ़ मिट्टी का एक पुराना रास्ता जो मठ तक पहुँचते ही ख़त्म हो जाता था।


मठ की पहली रात
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जब जोगिन तारा को वहाँ लाया गया, तो मठ के फादर एंथनी ग्रेव्स ने उसका स्वागत किया।
वह 78 साल के बूढ़े पादरी थे, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी भूत–प्रेत और अभिशापों के अध्ययन में गुज़ारी थी।
उनके पास सैकड़ों पुराने धर्मग्रंथ थे — जिनमें से एक किताब थी
De Vermis Obscura” (अंधकार का कीड़ा)
जिसमें लिखा था कि दुनिया में कुछ आत्माएँ ऐसी भी जन्म लेती हैं
जो “ईश्वर की गलती” होती हैं —
वे जीवित नहीं, बल्कि खामोशी का रूप होती हैं।

फादर एंथनी ने तारा को देखते ही कहा —

“मैं जानता हूँ तुम कौन हो… तुम बोलती नहीं क्योंकि तुम्हारी आवाज़ में मौत है।”

तारा ने कोई जवाब नहीं दिया।
बस उसने अपनी बायीं हथेली को देखा, जिसमें छोटे-छोटे दाँतों के निशान थे —
जैसे किसी ने उसे बार-बार काटा हो, मगर बिना खून के।


मठ का इतिहास

Ravenswood Monastery की स्थापना 1847 में हुई थी।
यहाँ पहले फ्रेंच भिक्षु रहते थे, जिन्होंने दावा किया था कि जंगल के नीचे
The Pit of Hunger” (भूख का गड्ढा) नाम का एक स्थान है —
जहाँ धरती साँस लेती है, और जो भी उसे सुन लेता है, वो “खामोशी” में समा जाता है।

साल 1892 में पूरे मठ के 63 भिक्षु एक ही रात में गायब हो गए थे।
केवल दीवारों पर लिखा मिला —

“हमने भूख को जगाया।”

उसके बाद से मठ बंद था, जब तक फादर एंथनी ने उसे फिर से नहीं खोला।


वह आवाज़ जो नहीं थी

तारा को मठ में एक कमरा दिया गया —
दीवारें ठंडी, खिड़कियाँ लकड़ी की, और कमरे के बीचोंबीच एक पुराना दर्पण रखा था।
वह दर्पण 18वीं सदी का था और कहा जाता था कि वो “Confession Mirror” था —
जिसमें देखने वाला अपना पाप देख सकता था।

रात को जब सब सो गए,
तारा उठी और धीरे से उस दर्पण के सामने जाकर खड़ी हो गई।
उसने खुद को देखा —
पर उसके पीछे एक दूसरा चेहरा झलक रहा था।
वो उसका नहीं था।
वो चेहरा मुस्कुरा रहा था... और धीरे से बोला —

“अब वक्त आ गया है… मुझे बाहर आने दो।”

दूसरे दिन सुबह मठ के एक नौजवान पादरी, फादर ल्यूक, गायब मिले।
उनका कमरा अंदर से बंद था।
दरवाज़ा तोड़ने पर सिर्फ़ उनके जूते मिले — और ज़मीन पर छोटे-छोटे कुतरे हुए हड्डियों के टुकड़े


फादर एंथनी की डायरी (असली अंश)

“5 फरवरी 2004:
बच्ची का चेहरा अब पूरी तरह बदल गया है।
उसकी आँखें अब किसी इंसान की नहीं रहीं।
रात में जब मैं प्रार्थना करता हूँ, तो दीवारें बोलती हैं।
कहती हैं — ‘Silence is hungry.’
मैंने ‘De Vermis Obscura’ फिर पढ़ी — वहाँ लिखा है कि यह बच्ची एक Devourer of Voices है।
यह दूसरों की आत्मा उनके शब्दों के ज़रिए खा जाती है।”


सातवाँ दिन
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सात दिन तक मठ में प्रार्थनाएँ चलीं।
फादर एंथनी ने तारा को अलग रखा, पर हर रात मठ के किसी न किसी हिस्से से
चबाने की आवाज़ें आती थीं —
जैसे कोई दीवारों को खा रहा हो।

आठवें दिन सुबह, मठ की घंटी अपने आप बज उठी।
और सबने देखा —
दीवारों पर छायाएँ रेंग रही थीं, जो आकार बदल रही थीं,
और फिर उनमें से सैकड़ों छोटे-छोटे चूहे जैसे जीव बाहर आने लगे।
वे असली नहीं थे,
वे धुंध से बने थे — लेकिन काटते असली दाँतों से थे।

वो सब तारा के चारों ओर इकट्ठे हो गए।
तारा ने अपनी आँखें खोलीं —
और पहली बार बोली —

“अब खामोशी का भोज शुरू होता है।”


छायाओं का भोज

अगले कुछ पलों में पूरा मठ अंधेरे में डूब गया।
फादर एंथनी ने जो देखा, वो उनकी आखिरी डायरी में दर्ज था:

“मैंने देखा कि तारा के पीछे कोई विशाल छाया खड़ी थी।
उसका चेहरा किसी स्त्री जैसा था — पर आँखें नहीं थीं, सिर्फ़ दो खाली गड्ढे।
उसके चारों ओर धुंध के चूहे मंडरा रहे थे।
उसने मठ के हर व्यक्ति को अपने भीतर समा लिया।
चीखें नहीं थीं, बस खामोशी थी... और चबाने की हल्की आवाज़।”

अगली सुबह जंगल में सिर्फ़ राख और एक सफ़ेद ड्रेस मिली।
तारा का कोई निशान नहीं था।


सालों बाद...

2011 में, ब्रिस्बेन यूनिवर्सिटी के एक पुरातत्व दल ने Ravenswood के खंडहरों की खुदाई की।
उन्हें वहाँ एक लोहे का संदूक मिला — जिसमें एक छोटी डायरी और एक बच्चे की हड्डियाँ थीं।
डायरी की आखिरी पंक्ति में सिर्फ़ यही लिखा था —

The Child of Silence will return when hunger wakes again...
(“खामोशी की संतान तब लौटेगी जब भूख फिर जागेगी...”)

और उसी रात,
ब्रिस्बेन के उपनगरों में दर्जनों लोगों ने एक जैसी बात कही —
कि उन्होंने अपने घर की दीवारों के भीतर से “कुतरने की आवाज़” सुनी।


समाप्त नहीं...

तारा की कहानी वहीं ख़त्म नहीं हुई।
कहा जाता है कि रूस के खोव्रिन गाँव में, जहाँ वो जन्मी थी,
एक पुरानी हवेली में अब भी उसके खिलौनों का बॉक्स रखा है —
जो हर सर्दी की रात अपने आप खुल जाता है।

और जब कोई उस बॉक्स से आवाज़ें सुन लेता है...
तो अगले दिन उसकी ज़ुबान नहीं मिलती।


🕯️ The Child of Silence – खामोशी की संतान
“वो न तो रोती है, न हँसती है…
बस तब मुस्कुराती है जब कोई आख़िरी बार बोलता है।”



Horror Lover Notice board 


“नमस्कार दोस्तों,

सबको दीपावली की ढेरों शुभकामनाएँ। यह त्योहार खुशियों और रोशनी का प्रतीक है, लेकिन मैं आज आपसे अपने दिल की एक बहुत ही निजी और जरूरी बात साझा करना चाहता हूँ।


कुछ समय पहले मेरी ज़िंदगी में बहुत मुश्किलें आईं। रोज़मर्रा की छोटी-छोटी ज़रूरतें भी पूरी करना मुश्किल हो गया। अकेले संभालना बहुत कठिन हो गया, और कई बार लगा कि सब कुछ खत्म हो जाएगा।


लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैं कोशिश कर रहा हूँ कि फिर से अपने कदम मजबूत कर सकूँ, लेकिन इस राह में मुझे आप सभी की मदद की जरूरत है। आपकी छोटी सी मदद मेरे लिए किसी दीपक की रोशनी से कम नहीं होगी – यह अँधेरे में आशा की लौ जगा सकती है।


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इस दीपावली, आप मेरी जिंदगी में रोशनी और उम्मीद बन सकते हैं। आपकी मदद मेरे लिए बेहद कीमती होगी और मैं इसे कभी नहीं भूलूँगा।

दिल से धन्यवाद!”


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