## **अध्याय 1: रहस्यमयी चर्च**
केरल के घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच स्थित डायंगगल चर्च दिन में भव्य और शांत दिखता था, लेकिन रात होते ही यह भय और रहस्य का अड्डा बन जाता। गाँव के लोग चर्च के बारे में बात करने से भी डरते थे। कहते हैं कि आधी रात के बाद वहाँ अजीबोगरीब आवाजें गूंजती थीं—कभी किसी के रोने की, कभी किसी के फुसफुसाने की, और कभी-कभी तो भारी कदमों की आहटें भी सुनाई देती थीं।
कोई भी व्यक्ति चर्च के पास जाने की हिम्मत नहीं करता था, खासकर सूर्यास्त के बाद। बुजुर्गों के अनुसार, वर्षों पहले वहाँ एक पादरी की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। कुछ लोगों का कहना था कि उसने चर्च के अंदर आत्महत्या कर ली, जबकि कुछ का मानना था कि उसकी हत्या हुई थी। लेकिन असली सच क्या था, यह कोई नहीं जानता था।
चर्च से जुड़ी घटनाओं के बारे में जानने के लिए एक स्थानीय पत्रकार, अरविंद, ने वहाँ जाने का फैसला किया। उसे भूत-प्रेतों पर विश्वास नहीं था, लेकिन चर्च से जुड़े रहस्यों ने उसकी जिज्ञासा बढ़ा दी थी। उसने तय किया कि वह रात के समय चर्च जाकर इन घटनाओं की सच्चाई का पता लगाएगा।
**क्या अरविंद इस रहस्य को सुलझा पाएगा? या वह भी चर्च की खौफनाक कहानियों का हिस्सा बन जाएगा?**
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**(अगले अध्याय में: अरविंद की चर्च तक की यात्रा और पहली डरावनी घटना!)**
### **द डायंगगल चर्च का रहस्य**
*एक सच्ची घटनाओं से प्रेरित डरावनी कहानी*
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## **अध्याय 1: रहस्यमयी चर्च की दहलीज**
केरल के घने जंगलों के बीच स्थित था **द डायंगगल चर्च**—एक प्राचीन गिरजाघर, जिसकी दीवारों पर समय की मार साफ दिखाई देती थी। यह चर्च सदियों पुराना था और अब वीरान पड़ा था। मगर, इसके बारे में जो सबसे खौफनाक बात थी, वह यह कि लोग कहते थे कि यहाँ रात को अजीबोगरीब आवाज़ें आती हैं—जैसे कोई फुसफुसा रहा हो, चर्च की घंटियाँ अपने-आप बज उठती थीं, और कभी-कभी वहाँ रहस्यमयी रोशनी दिखाई देती थी।
इस जगह के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित थीं। कुछ लोगों का मानना था कि यह चर्च कभी शैतानी अनुष्ठानों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। कुछ लोगों ने दावा किया कि उन्होंने यहाँ सफेद साए देखे हैं, जो हवा में तैरते हुए चर्च के अंदर चले जाते हैं। लेकिन इन अफवाहों की सच्चाई को परखने के लिए कोई भी यहाँ रात में जाने की हिम्मत नहीं करता था।
### **रात के अंधेरे में पहली दस्तक**
राहुल, एक युवा इतिहासकार और परामनोर्मल रिसर्चर, इस चर्च के रहस्य को उजागर करना चाहता था। वह भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रेतवाधित स्थानों की खोज कर चुका था और अब उसकी नजर **द डायंगगल चर्च** पर थी। उसकी टीम में तीन और लोग थे—
1. **अनीता** - एक शोधकर्ता, जिसे रहस्यमयी घटनाओं का दस्तावेज़ीकरण करने का शौक था।
2. **विवेक** - कैमरा ऑपरेटर, जो हर परछाई को कैमरे में कैद करना चाहता था।
3. **संदीप** - एक स्थानीय गाइड, जिसने चर्च के बारे में बहुत कुछ सुना था, लेकिन कभी वहाँ जाने की हिम्मत नहीं की थी।
राहुल और उसकी टीम चर्च के पास पहुँची तो शाम हो चुकी थी। सूरज ढलने लगा था और जंगलों में अंधेरा छाने लगा था। चर्च के चारों ओर लगे पुराने लकड़ी के फाटक अब जर्जर हो चुके थे। जैसे ही वे चर्च के अंदर दाखिल हुए, वहाँ एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई, जबकि बाहर गर्मी थी।
### **पहला संकेत**
जैसे ही उन्होंने चर्च के मुख्य द्वार को पार किया, एक झटके के साथ दरवाजा अपने-आप बंद हो गया। विवेक ने तुरंत कैमरा ऑन किया। संदीप घबरा गया और दरवाजे की ओर दौड़ा, लेकिन वह हिल भी नहीं रहा था—जैसे किसी ने उसे मजबूती से पकड़ रखा हो।
अचानक, चर्च के कोने में रखी एक पुरानी लकड़ी की कुर्सी अपने-आप हिलने लगी। राहुल ने अपने टॉर्च की रोशनी उस ओर डाली, लेकिन वहाँ कुछ नहीं था।
"यह...यह कैसे हो सकता है?" अनीता की आवाज़ घबराई हुई थी।
राहुल ने सबको शांत रहने को कहा। तभी चर्च के अंदर गूँजती हुई एक धीमी सी फुसफुसाहट सुनाई दी—
*"तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो...?"*
सभी के रोंगटे खड़े हो गए। वे समझ गए थे कि उन्होंने कुछ ऐसा छेड़ दिया है, जो सदियों से शांत था।
(जारी...)
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**अगला अध्याय:** *चर्च का अतीत—शापित आत्माओं की गूंज*
अध्याय 1: रहस्यमयी चर्च का इतिहास
केरल के सुदूर इलाके में स्थित द डायंगगल चर्च वर्षों से रहस्य और डर का पर्याय बना हुआ है। इस चर्च की स्थापना 18वीं शताब्दी में पुर्तगाली मिशनरियों द्वारा की गई थी। शुरू में यह एक पवित्र स्थान था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, इसके चारों ओर अजीब घटनाएँ घटने लगीं। गाँव वालों का मानना है कि चर्च में आत्माएँ भटकती हैं। रात के अंधेरे में वहाँ से चीखने की आवाज़ें आती हैं, कभी-कभी रहस्यमयी रोशनी भी दिखाई देती है।
चर्च का इतिहास खून और धोखे से भरा हुआ है। कहा जाता है कि यहाँ एक बार कई निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई थी। कुछ लोग मानते हैं कि चर्च के एक पादरी ने वहाँ काले जादू का अभ्यास किया था, जिसके कारण यह स्थान शापित हो गया। धीरे-धीरे, चर्च वीरान हो गया और अब कोई भी रात में वहाँ जाने की हिम्मत नहीं करता।
लेकिन इस कहानी की शुरुआत तब होती है जब अर्जुन मेनन, एक खोजी पत्रकार, इस चर्च की सच्चाई जानने का फैसला करता है। वह इस रहस्य को उजागर करने के लिए केरल के छोटे से गाँव वलियाथुरुथी पहुँचता है। वहाँ के स्थानीय लोग उसे चर्च के पास जाने से मना करते हैं, लेकिन अर्जुन अंधविश्वासों पर विश्वास नहीं करता।
क्या अर्जुन उस डरावनी सच्चाई से रूबरू होगा, जो सदियों से दफन है? क्या वह चर्च के पीछे के रहस्य को उजागर कर पाएगा?
(अगले अध्याय में: अर्जुन की पहली रात चर्च के पास, और एक डरावनी घटना जो उसकी हिम्मत की परीक्षा लेगी...)
## **कहानी: डायंगगल चर्च का श्राप**
_(एक सच्ची घटनाओं से प्रेरित डरावनी कहानी)_
### **अध्याय 1: रहस्यमयी आमंत्रण**
केरल के सबसे घने जंगलों में बसा 'डायंगगल चर्च' सदियों पुराना था। यह चर्च दिन में आम लोगों के लिए खुला रहता था, लेकिन रात में इसके दरवाजे हमेशा बंद रहते थे। गाँव के बुजुर्गों का कहना था कि जो कोई भी सूर्यास्त के बाद इस चर्च के अंदर गया, वह या तो कभी वापस नहीं आया या फिर अगर लौटा तो उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं रही। चर्च के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित थीं—किसी ने वहाँ आत्माओं को घूमते देखा था, तो किसी ने अजीबोगरीब आवाजें सुनी थीं।
संदीप, एक युवा पत्रकार, जो रहस्यमयी स्थानों की कहानियाँ लिखने में माहिर था, उसे इस चर्च के बारे में एक गुप्त पत्र मिला। पत्र में लिखा था:
_"अगर तुम सच्चाई जानना चाहते हो, तो पूर्णिमा की रात डायंगगल चर्च आओ। लेकिन याद रखना, जो यहाँ आता है, वह अपनी किस्मत खुद चुनता है।"_
पत्र पढ़कर संदीप के मन में डर और उत्सुकता दोनों जाग उठे। क्या यह सिर्फ एक अफवाह थी, या सच में कोई रहस्य इस चर्च के अंदर छिपा था?
अगली पूर्णिमा की रात, संदीप ने कैमरा और टॉर्च उठाई और डायंगगल चर्च की ओर निकल पड़ा। घने पेड़ों के बीच रास्ता बेहद सुनसान था। हवा में एक अजीब-सा सन्नाटा था, जैसे प्रकृति भी इस जगह से कुछ छिपाने की कोशिश कर रही हो।
जैसे ही संदीप चर्च के दरवाजे के पास पहुँचा, उसे दरवाजा हल्का-सा खुला दिखा। लेकिन गाँव वालों का कहना था कि यह दरवाजा रात में कभी नहीं खुलता। अंदर से किसी के फुसफुसाने की आवाजें आ रही थीं। संदीप ने कैमरा ऑन किया और अंदर कदम रखा...
(अगले अध्याय में जारी...)




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