### **कहानी: भूतिया ट्रेन ऑफ बेगुनकोडर**
#### **अध्याय 1: रहस्यमय स्टेशन**
बेगुनकोडर रेलवे स्टेशन, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में स्थित एक सुनसान और रहस्यमयी जगह थी। 1960 में जब इसे बनाया गया, तो लोगों में खुशी थी कि अब यह इलाका भी रेल से जुड़ जाएगा। लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी। 1967 में, इस स्टेशन पर अजीब घटनाएँ होने लगीं। लोगों ने रात में सफेद साड़ी पहने एक औरत को पटरियों पर चलते और गायब होते देखा। कुछ का कहना था कि यह आत्मा रात में चलने वाली किसी ट्रेन के साथ-साथ दौड़ती थी।
#### **अध्याय 2: पहला हादसा**
स्टेशन के गार्ड और स्टेशन मास्टर ने भी इस रहस्यमयी महिला को देखने की पुष्टि की थी। एक रात, स्टेशन मास्टर ने अपने परिवार के साथ स्टेशन पर रहने का फैसला किया। लेकिन अगली सुबह, लोग यह देखकर दंग रह गए कि पूरा परिवार मृत पड़ा था। कोई यह समझ नहीं पाया कि उनकी मौत कैसे हुई। कुछ ने कहा कि यह किसी खौफनाक ताकत का काम था।
#### **अध्याय 3: खौफ का साया**
इस घटना के बाद, स्टेशन के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों में डर बैठ गया। कुछ ने अपने घर तक छोड़ दिए, और कुछ ने रात में स्टेशन के पास जाना बंद कर दिया। कहा जाता था कि अगर कोई इस भूत को देख ले, तो या तो उसकी मौत हो जाती थी या वह पागल हो जाता था।
#### **अध्याय 4: बंद स्टेशन**
धीरे-धीरे, बेगुनकोडर रेलवे स्टेशन की भूतिया कहानियाँ पूरे क्षेत्र में फैल गईं। रेलवे कर्मचारियों ने यहाँ काम करने से इनकार कर दिया। आखिरकार, भारतीय रेलवे ने 1967 में इस स्टेशन को बंद करने का फैसला किया। अगले 42 वर्षों तक, यहाँ कोई ट्रेन नहीं रुकी।
#### **अध्याय 5: यात्रियों की अजीब दास्तान**
हालाँकि स्टेशन बंद था, लेकिन फिर भी कुछ यात्रियों ने यहाँ से गुजरते हुए रहस्यमयी घटनाएँ अनुभव कीं। कुछ ने खिड़कियों से सफेद साड़ी में एक औरत को खड़े देखा, तो कुछ ने महसूस किया कि उनकी ट्रेन किसी अदृश्य शक्ति से धीमी हो रही है।
#### **अध्याय 6: पत्रकार की खोज**
साल 2000 में, एक पत्रकार ने इस स्टेशन के रहस्य को उजागर करने का फैसला किया। वह एक रात अपने कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरणों के साथ वहाँ गया। अगली सुबह, वह स्टेशन पर बेहोश मिला। जब उसने कैमरा चेक किया, तो उसमें एक छायामयी आकृति रिकॉर्ड हुई थी।
#### **अध्याय 7: गाँव वालों का डर**
गाँव के बुजुर्गों का मानना था कि यह भूत एक महिला रेलवे कर्मचारी का था, जिसकी ट्रेन की चपेट में आकर मौत हो गई थी। कुछ ने दावा किया कि यह किसी आत्मा की शापित शक्ति थी, जो कभी इस स्टेशन पर मारी गई थी।
#### **अध्याय 8: भूतिया ट्रेन की अफवाहें**
कुछ लोगों ने दावा किया कि उन्होंने रात के समय एक ट्रेन को स्टेशन पर रुकते हुए देखा, लेकिन उसमें कोई ड्राइवर नहीं था। ट्रेन कुछ देर खड़ी रहती और फिर अचानक गायब हो जाती।
#### **अध्याय 9: सरकार का हस्तक्षेप**
2009 में, तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने इस स्टेशन को दोबारा खोलने का आदेश दिया। अधिकारियों ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस जगह की जाँच की, लेकिन कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला कि यहाँ कोई भूत था।
#### **अध्याय 10: पहली ट्रेन की वापसी**
एक रात, जब पहली बार एक यात्री ट्रेन को स्टेशन पर रोका गया, तो कई लोग डरे हुए थे। लेकिन किसी भी प्रकार की भूतिया घटना नहीं घटी। हालाँकि, कुछ यात्रियों ने महसूस किया कि उनके चारों ओर एक अजीब सी ठंडक थी।
#### **अध्याय 11: नए कर्मचारियों का डर**
जब स्टेशन फिर से खुला, तो रेलवे ने नए कर्मचारी यहाँ तैनात किए। पहले कुछ दिनों तक सब सामान्य था, लेकिन फिर अजीब घटनाएँ शुरू हुईं—टेलीफोन अपने आप बजता, लाइट्स अचानक बंद हो जातीं, और दूर से किसी के चलने की आवाज़ें सुनाई देतीं।
#### **अध्याय 12: यात्रियों की डरावनी घटनाएँ**
कुछ यात्रियों ने दावा किया कि उन्होंने रात में प्लेटफॉर्म पर किसी को खड़ा देखा, लेकिन जब ट्रेन वहाँ पहुँची, तो वह आकृति गायब हो गई।
#### **अध्याय 13: वैज्ञानिक शोध और निष्कर्ष**
एक विशेषज्ञ टीम ने स्टेशन का दौरा किया और निष्कर्ष निकाला कि यहाँ के घटनाएँ मानसिक प्रभाव और अंधविश्वास का परिणाम हो सकती हैं।
#### **अध्याय 14: स्टेशन का वर्तमान हाल**
आज, बेगुनकोडर रेलवे स्टेशन एक सामान्य स्टेशन बन चुका है, लेकिन इसकी भूतिया कहानियाँ अब भी लोगों को डराती हैं।
#### **अध्याय 15: क्या यह सच था?**
यह सवाल अब भी बना हुआ है—क्या बेगुनकोडर रेलवे स्टेशन सच में भूतिया था, या यह केवल अफवाह और अंधविश्वास था? यह रहस्य अब भी अनसुलझा है।
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यह थी **"भूतिया ट्रेन ऑफ बेगुनकोडर"** की रहस्यमयी और डरावनी कहानी!



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