Amazon Guardian Spirit
🔥 सावधान! यह कहानी कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है 🔥
अमेज़न के घने जंगलों के बीच छुपा है एक रहस्य…
"Amazon Guardian Spirit" – एक ऐसी आत्मा जो हज़ारों सालों से सोने की नगरी की रखवाली कर रही है।
कहते हैं जिसने भी उसके सोने को छुआ, उसका शरीर टुकड़ों में बिखर गया, दिल निचोड़ लिया गया, और आत्मा हमेशा के लिए कैद हो गई।
इस कहानी में आपको मिलेगा –
👁️ खून से सनी गुफ़ा की दीवारें
👁️ आत्मा का इंसानी शरीर चीरना
👁️ हड्डियों का टूटना और आँखों का पिघलना
👁️ इंसानों की चीख़ें जो हमेशा जंगल में गूँजती रहती हैं
अगर हिम्मत है तो पूरी कहानी ज़रूर पढ़ें/देखें।
लेकिन याद रखना – पढ़ने के बाद यह आत्मा आपके सपनों में भी आ सकती है 👻
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"मैंने आत्मा को चुनौती दी है" – अगर आपने पूरा पढ़ने की हिम्मत की!
Amazon Guardian Spirit
भाग 1 : स्वर्ण नगरी का शाप
अमेज़न का हृदय।
वह स्थान जहाँ अब तक किसी भी इंसान के कदम नहीं पड़े थे। आसमान को छूते पेड़, हर पल गूँजते रहस्यमयी स्वर, और सड़ती हुई नमी से भरी मिट्टी, जिसमें अनगिनत रहस्य दफन थे।
वैज्ञानिकों और खोजियों का एक दल—बीस से अधिक लोग, जिनमें कुछ बंदूकधारी भाड़े के सिपाही, कुछ लालची व्यापारी और दुनिया के सबसे ताक़तवर वैज्ञानिक शामिल थे—एक ही मक़सद से अमेज़न की इस भयानक गहराई में उतरे थे। मक़सद था—“The Gold of City” की खोज।
उनके पास नवीनतम तकनीक थी। धातु खोजने वाली मशीनें, ग्रेनेड, ऑटोमैटिक राइफलें और सैटेलाइट सिस्टम से जुड़ी डिवाइसें। ऐसा लग रहा था जैसे इंसान कुदरत को ललकारने आया हो।
खोज का पहला डर
कई दिनों तक भटकने के बाद, अचानक उनकी मशीनों ने तेज़ सिग्नल पकड़ लिया। ज़मीन कांपने लगी और कुछ ही दूरी पर घने पेड़ों की दीवार हटाते ही सबकी आँखें चौंधिया गईं।
वहाँ सामने थी—सोने की नगरी।
हज़ारों साल पुरानी इमारतें, जिनकी दीवारें सोने से ढकी थीं। ज़मीन पर बिखरे ऐसे धातु और पत्थर जो पृथ्वी पर कहीं और मिलते ही नहीं। वहाँ की चमक इतनी थी कि इंसान का दिमाग़ पागल हो जाए।
सभी के चेहरे लालच से चमक उठे।
“ये दौलत... पूरी दुनिया को खरीद सकती है।”
किसी ने बुदबुदाया।
पर तभी, दल के नेता ने आदेश दिया—
“ये ख़ज़ाना हम किसी को नहीं दिखाएँगे। ये दुनिया तबाह कर देगा।”
लेकिन, इंसानी लालच इतनी आसानी से हार कहाँ मानता है।
विश्वासघात
उसी दल में था—Reax Accer, एक धनी और निर्दयी व्यापारी।
उसने पहले ही तय कर लिया था कि यह ख़ज़ाना सिर्फ उसका होगा। उसने उसी रात अपनी गुप्त टीम बुला ली—दस बेहतरीन सैनिक, कुछ खूंखार गुंडे, और ख़ून से खेलने वाले भाड़े के हत्यारे।
रात ढलते ही जंगल गोलियों से गूंज उठा।
धधकती आग ने आसमान को लाल कर दिया। पेड़ों से लपटें उठीं, जंगली जानवर चीख़ते हुए भागे। गोलियों की बौछार में वैज्ञानिक एक-एक कर गिरते गए। उनके शरीर मिट्टी में लहूलुहान पड़े रहे।
जो कुछ लोग ज़िंदा बचे, वो घबराकर अंधेरे जंगल की तरफ़ भाग गए। हवा में बारूद और जलती मांस की गंध तैर रही थी।
संदूक का रहस्य
अगली सुबह, Reax और उसकी टीम ने जाँच शुरू की।
सोने की नगरी के बीचोबीच, उन्हें मिला एक विशाल पत्थर का संदूक। उस पर अजीब चित्र और प्राचीन मंत्र लिखे थे। किसी ने कहा—
“ये कोई खज़ाना है।”
जैसे ही उन्होंने संदूक खोला, चारों तरफ़ से अजीब-अजीब आवाज़ें आने लगीं।
मानो हज़ारों लोग एक साथ चीख़ रहे हों।
हवा ठंडी हो गई, सूरज की रोशनी फीकी पड़ गई।
उस संदूक के भीतर पड़ी थी—पत्थर की चाबी।
इतनी रहस्यमयी कि देखकर सभी के रोंगटे खड़े हो गए।
पहली गलती
उस रात सब अपने-अपने टेंट में सोने चले गए।
लेकिन टीम का एक गुंडा—जिसका नाम था Hector—लालच में अंधा हो गया।
उसने चाबी उठाई और कहा,
“क्यों न इसका ताला ढूंढूँ? शायद असली खज़ाना वहीं छिपा हो।”
टॉर्च लेकर वो अकेला सुरंगों की तरफ़ बढ़ गया।
सुरंगें पुरानी, नमी से भीगी और काई से ढकी थीं। दीवारों पर पुराने चित्र बने थे—लोगों को बलि चढ़ाते हुए, खून पीते हुए, और एक विशाल छायादार आत्मा को पूजते हुए।
Hector का दिल ज़ोर से धड़क रहा था, पर लालच उसे आगे खींच रहा था।
सुरंग के आख़िरी छोर पर था—एक और संदूक।
उसने चाबी डाली और ताला घुमाया।
शाप का जागना
संदूक खुलते ही हवा में सड़ांध फैल गई।
उसके भीतर से निकला—हज़ारों साल पुराना शव।
सूखी हड्डियाँ, झुर्रीदार चमड़ी, और काले धुएँ जैसा अंधेरा उसके चारों ओर घूम रहा था।
Hector चीख़ उठा—
“हे भगवान... ये क्या है!”
अचानक शव की आँखें लाल आग की तरह चमकीं।
वो हिला... और धीरे-धीरे ज़िंदा होने लगा।
जंगल के ऊपर अचानक तूफ़ान उमड़ पड़ा।
पेड़ उखड़ने लगे, बिजली कड़कने लगी। बाकी बचे लोग भी घबराकर उसी सुरंग की ओर भागे।
पहला शिकार
जैसे ही वो प्रेत-जैसा शव पूरी तरह जीवित हुआ, उसने Hector को पकड़ लिया।
उसकी हड्डियों से ढकी हुई, ठंडी, सड़ी-गली उँगलियाँ Hector की गर्दन में धँस गईं।
“Hhhhhhrrrrr...”
Hector की चीख़ गुफा में गूँज उठी।
उसके शरीर से मांस फटने की आवाज़ आई।
वो दानव उसके शरीर से बायाँ हाथ खींचकर अलग कर चुका था।
खून फव्वारे की तरह छिटक पड़ा। Hector की आँखें खुली की खुली रह गईं और उसका निर्जीव शरीर ज़मीन पर गिर गया।
बाकी सब लोग ये देख भय से जड़ हो गए।
Reax के सैनिक काँपने लगे, उनकी राइफलें हाथ से गिरने लगीं।
वो मृतात्मा अब उनकी ओर बढ़ रहा था...
और उसकी लाल आँखों में सिर्फ़ मौत थी।
👁️ भाग 1 समाप्त।
Amazon Guardian Spirit
भाग 2 : आत्मा का शिकार
गुफ़ा के अंदर अंधेरा और भारी हो गया था।
Hector का कटा हुआ हाथ अभी भी ज़मीन पर तड़प रहा था, उसकी उँगलियों में हल्की-हल्की झटपटाहट थी, मानो उसमें भी कोई अदृश्य जान बची हो। बाकी लोग दीवार से सटकर खड़े थे, उनकी साँसें तेज़ चल रही थीं, और दिल इतनी जोर से धड़क रहे थे जैसे छाती फाड़कर बाहर निकल आएँगे।
आत्मा का असली रूप
वो प्रेत-जैसा शव अब पूरी तरह जाग चुका था।
उसकी लंबाई सात फुट से भी ऊपर थी। उसकी हड्डियाँ बाहर झाँक रही थीं, त्वचा पर हरे-काले धब्बे, और आँखें—मानो जलते अंगारे। उसकी साँसें गुफ़ा में गंधक की तरह बदबू फैला रही थीं।
वो धीरे-धीरे बोला—
“तुमने मेरे सोने को छुआ... अब तुम्हारे हर हिस्से से मेरी शक्ति बढ़ेगी।”
उसके शब्द पत्थर की गुफ़ा की दीवारों से टकराकर गूँज उठे।
दूसरा शिकार
दल का एक सिपाही डर के मारे अपनी राइफल लेकर दहाड़ा—
“मर जा तू, हरामखोर!”
उसने लगातार गोलियाँ बरसा दीं।
गोलियों की आवाज़ इतनी भयानक गूँजी कि सबके कान फटने लगे। लेकिन... जैसे ही धुआँ छँटा, आत्मा वहीं खड़ी थी। हर गोली उसके शरीर में घुसकर राख में बदल गई थी।
आत्मा ने सिर्फ़ अपना हाथ हिलाया।
और अचानक वो सिपाही हवा में उछल गया।
उसका शरीर उल्टा लटक गया, मानो किसी अदृश्य रस्सी ने पकड़ लिया हो।
अगले ही पल आत्मा ने उसके सीने पर हाथ रखा और पूरे जोर से खींचा।
“क्र्रर्र्र्रर्र्र्रर्रर्र…”
उसका दिल फटकर बाहर निकल आया।
खून की धार गुफ़ा की छत तक जा पहुँची।
उस सिपाही का चेहरा सफ़ेद पड़ गया, आँखें उलट गईं, और उसका निर्जीव शरीर ज़मीन पर गिर पड़ा।
आत्मा ने वो दिल अपने मुँह में डाल लिया और हड्डियों जैसी दाँतों से चबा गया। चबाने की चर्र-चर्र आवाज़ सुनकर बाकी सबके पेट में मरोड़ उठ गया।
गुफ़ा का बंद होना
Reax और उसके बचे हुए लोग भागने लगे।
लेकिन जैसे ही वो गुफ़ा के बाहर की ओर भागे, ज़मीन काँपी और गुफ़ा का दरवाज़ा पथरों से बंद हो गया।
अब बचने का कोई रास्ता नहीं था।
केवल अंधेरा, बदबू और मौत।
तीसरा शिकार
उनमें एक और सैनिक था—नाम Luis।
उसने घबराकर ग्रेनेड निकाला और चिल्लाया—
“अगर हमें मरना ही है, तो ये दानव भी मरेगा।”
उसने ग्रेनेड आत्मा की ओर फेंक दिया।
भयानक धमाका हुआ।
गुफ़ा में धुआँ और मलबा फैल गया।
सबको लगा आत्मा मर गई होगी।
लेकिन धुआँ छँटते ही वो और भी भयानक रूप में खड़ी थी।
उसकी चमड़ी झड़ चुकी थी, और अब उसके शरीर से काले कीड़े रेंगते हुए बाहर निकल रहे थे।
आत्मा ने Luis की ओर देखा और अपनी उँगली उठाई।
अचानक Luis का शरीर कांपने लगा।
उसकी हड्डियाँ टुकड़ों में टूटने लगीं।
“कचाक… कचाक… कचाक…”
उसके हाथ-पाँव उल्टी दिशाओं में मुरड़ गए।
उसकी रीढ़ की हड्डी बाहर निकल गई और शरीर जमीन पर बिखरकर बस एक खून का ढेर रह गया।
बाकी लोग पागलों की तरह चिल्लाने लगे।
रहस्य का खुलना
अब आत्मा हँस रही थी।
उसकी हँसी गुफ़ा को हिला रही थी।
वो बोली—
“मैं हूँ Amazon Guardian Spirit… इस नगरी का रक्षक। हज़ारों साल पहले इंसानों ने अपने लालच में मेरी आत्मा को यहाँ बाँध दिया।
हर बार जब कोई इस सोने को छूता है, मैं जागता हूँ।
मुझे ताक़त पाने के लिए इंसान के शरीर का हर हिस्सा चाहिए—एक-एक करके।
हाथ… दिल… हड्डियाँ… आँखें… और आख़िर में आत्मा।”
उसकी लाल आँखें अब Reax पर टिकी थीं।
चौथा शिकार
दल का एक और व्यक्ति, वैज्ञानिक Dr. Martin, रोते हुए बोला—
“हम गलती कर बैठे… ये जगह इंसानों के लिए नहीं है…”
आत्मा ने उसकी ओर झपटा और उसकी आँखों में घूरने लगा।
अचानक Dr. Martin चीख़ने लगा।
उसकी आँखें धीरे-धीरे पिघलने लगीं।
गर्म मोम की तरह उसकी आँखें बहकर गालों तक आ गईं।
वो दर्द से तड़पता रहा और ज़मीन पर लोटने लगा।
कुछ ही पलों में उसके सिर में धमाका हुआ और उसका पूरा खोपड़ा फट गया।
दीवारें खून और दिमाग़ के टुकड़ों से रंग गईं।
Reax का डर
अब गुफ़ा में Reax और उसके कुछ गिने-चुने साथी ही बचे थे।
उसकी साँसें भारी हो रही थीं।
उसने सोने की नगरी की ओर देखा और फिर आत्मा की ओर।
उसकी आँखों में पहली बार लालच की जगह पछतावा था।
लेकिन आत्मा ने धीरे से कहा—
“अब बहुत देर हो चुकी है।”
अगला कदम
गुफ़ा में और भी लोग मरने बाकी थे।
और आत्मा हर शिकार से और शक्तिशाली हो रही थी।
उसकी हड्डियाँ अब पूरी तरह चमकने लगी थीं।
मानो वो इंसानों के शरीर को जोड़कर फिर से जीवित हो रहा हो।
गुफ़ा में अब सिर्फ़ मौत का खेल बाकी था।
👁️ भाग 2 समाप्त।
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