ऑकल्ट पावर
(सच्ची घटना से प्रेरित
🔥
👁️🗨️ यह है “ऑकल्ट Power”
एक ऐसी कहानी, जिसमें इंसान ने अपने ही बच्चों की बलि देकर अंधेरे से शक्ति पाने की कोशिश की।
🩸 “ऑकल्ट Power” आपको दिखाएगी,
कैसे एक परिवार लालच और काले जादू के जाल में फँसकर खून से अपने घर को भर देता है।
⚰️ इस खौफनाक कहानी में मिलेगा,
मृत बच्चों की चीख,
काले तंत्र-मंत्र की गंध,
और उस रात का रहस्य जब सब कुछ बदल गया।
🌑 “ऑकल्ट Power” केवल कहानी नहीं,
बल्कि एक सच्चाई है –
जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी।
💀 अगर आपके अंदर हिम्मत है,
तो इस “ऑकल्ट Power” को ज़रूर सुनिए।
😱 यह कहानी आपको बताएगी,
कैसे लालच इंसान को इंसान से राक्षस बना देता है।
📢 समर्थन करें:
👍 अगर आपको “ऑकल्ट Power” पसंद आए तो Like करें।
🔁 इस खौफनाक सफर को अपने दोस्तों के साथ Share करें।
🔔 और ऐसी ही डरावनी कहानियों के लिए Subscribe ज़रूर करें।
कहानी का नाम: ऑकल्ट पावर
(सच्ची घटना से प्रेरित – भय और खौफ का विस्तार)
भाग 1 : छत्तीसगढ़ की अंधेरी रात
2010 की गर्मियों की वह शाम, भिलाई के एक छोटे-से गाँव में अचानक भय का माहौल छा गया। गाँव में पहले भी अंधविश्वास और टोने-टोटके की बातें उठती रही थीं, पर इस बार लोगों की रूह तक कांप गई थी।
गाँव के बीचोबीच, एक पुराना मिट्टी का घर था, जिसकी दीवारों पर काला धुआँ जमी राख की तरह चिपकी रहती थी। घर के भीतर रामलाल ओझा नाम का एक व्यक्ति रहता था—लोग उसे विच डॉक्टर कहते थे। वह दावा करता था कि उसके पास "अलौकिक शक्तियाँ" हैं, और वह आत्माओं से बात कर सकता है। लोग डरते भी थे और विश्वास भी करते थे।
रामलाल का परिवार भी उसी में शामिल था—उसकी पत्नी कमला और बड़ा बेटा हरि। कहा जाता था कि यह पूरा परिवार काले जादू और "ऑकल्ट प्रैक्टिस" में लिप्त था।
भयावह घटनाओं की शुरुआत
गाँववालों ने धीरे-धीरे नोटिस किया कि रामलाल के घर से अजीब आवाजें आती हैं—रात को मंत्रोच्चारण, लोहे की जंजीरों की खड़खड़ाहट, और कभी-कभी बच्चों के रोने जैसी चीखें।
एक दिन अचानक दो मासूम बच्चे, 6 साल की पूजा और 8 साल का अरुण, गायब हो गए। उनके माता-पिता पागल होकर हर जगह ढूँढने लगे—जंगल, तालाब, पड़ोसियों के घर तक—but कुछ पता न चला।
गाँव में कानाफूसी शुरू हो गई—
“ये काम रामलाल ओझा का है।”
“उसने ऑकल्ट पावर पाने के लिए बच्चों को छिपाया है।”
“वो बलि देगा... भगवान बचाए।”
गाँव के बुजुर्ग कहते थे कि काली ताकतों को खुश करने के लिए मासूम की बलि दी जाती है।
गुप्त कमरे का रहस्य
तीसरी रात को कुछ ग्रामीणों ने साहस जुटाया और रामलाल के घर की जासूसी की। आधी रात थी, पूरा गाँव अंधेरे में सोया था, लेकिन उस घर से तेज़ लाल रोशनी और धुएँ का गुबार उठ रहा था।
अंदर से मंत्रों की गूंज सुनाई दी:
“ॐ कालिके... बलि दे... शक्ति दे... सौभाग्य दे...”
और तभी—
एक ऐसी आवाज़ आई, जो इंसानी नहीं लग रही थी। वह आवाज़ इतनी गहरी और भयावह थी जैसे कोई दानव बोल रहा हो।
ग्रामीण डरकर पीछे हट गए, लेकिन एक ने दरार से झाँककर देखा। उसकी आँखें फटी रह गईं—
रामलाल और उसका परिवार एक काले घेरे में खड़े थे, बीच में बकरी का खून बह रहा था, और पास ही दो छोटे बच्चे रस्सियों से बंधे रो रहे थे।
गाँव में दहशत
सुबह होने तक अफवाह पूरे गाँव में फैल गई कि ओझा परिवार बच्चों की बलि देने वाला है।
गाँववाले इकट्ठे होकर सोचने लगे—
“अगर ये सच है तो हमें रोकना होगा।”
“पर कैसे? उनके पास काला जादू है... अगर उन्होंने हम पर श्राप डाल दिया तो?”
इसी डर और बेचैनी में पूरा गाँव कांप रहा था। बच्चों के माता-पिता बदहवास होकर मंदिरों में पूजा कर रहे थे, रो-रोकर भगवान से अपने बच्चों की जान की भीख मांग रहे थे।
पहला खून
उस रात एक घटना हुई जिसने पूरे गाँव की नींद उड़ा दी।
रामलाल के घर से एक जोरदार चीख सुनाई दी। वह चीख इतनी डरावनी थी कि पूरे गाँव में गूँज उठी। सुबह जब गाँववालों ने झाँककर देखा, तो घर के बाहर ताजे खून के छींटे पड़े थे।
अब किसी को शक नहीं रहा—कुछ भयानक घट चुका था।
👉 (आगे भाग 2 में: बच्चों की बलि की असली सच्चाई, गाँववालों का आक्रोश, और ऑकल्ट पावर का खौफनाक रहस्य खुलेगा।)
ऑकल्ट पावर
भाग 2 : बलि की रात
सुबह की पहली किरण गाँव में फैली, लेकिन लोगों के दिलों में रात की वह चीख अब भी गूंज रही थी। हर कोई एक-दूसरे की ओर देख रहा था—डरा हुआ, कांपता हुआ। बच्चों के माता-पिता बेसुध हो चुके थे। औरतें अपने बच्चों को कसकर पकड़ लेतीं, मानो कहीं उन्हें भी कोई उठा न ले।
गाँव के बुजुर्गों ने तय किया—
“आज रात, चाहे जो हो, हम रामलाल के घर जाएंगे। अगर बच्चों की बलि दी गई है, तो ये पाप नहीं छिपना चाहिए।”
गुप्त तहखाने का खुलासा
शाम ढलते ही चार-पाँच बहादुर गाँववाले, हाथों में मशालें और लाठियाँ लिए रामलाल के घर पहुँचे। घर बाहर से खामोश लग रहा था, लेकिन भीतर से अगरबत्ती और खून की मिलीजुली बदबू आ रही थी।
दरवाज़ा बंद था। उन्होंने पीछे से घुसने का रास्ता खोजा और आखिरकार मिट्टी की टूटी दीवार से अंदर सरका।
अंदर का दृश्य उनकी रूह जमा देने वाला था—
-
दीवारों पर कोयले से बने अजीब प्रतीक
-
खोपड़ियों की माला
-
और एक लकड़ी की ताबूत जैसी पेटी, जिसमें से खून रिस रहा था।
उनके कदम कांप गए। लेकिन हिम्मत करके एक ने पेटी खोली।
भीतर पूजा पड़ी थी—उसका चेहरा पीला, होंठ सूखे, आँखें फटी हुईं। वह अब ज़िंदा नहीं थी। उसके गले पर एक गहरा कट था, और पास ही एक लोहे का कटोरा खून से भरा हुआ रखा था।
मंत्रों की गूँज
अचानक तहखाने के दूसरी तरफ से हरि (रामलाल का बेटा) की आवाज़ आई।
वह ऊँचे स्वर में मंत्र पढ़ रहा था—
“रक्त से शक्ति, शक्ति से सौभाग्य... देवी प्रकट हो...”
उसके सामने अरुण अब भी जिंदा था, पर रस्सियों से बंधा हुआ। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे और वह जोर-जोर से हिल रहा था।
गाँववाले चिल्लाए—
“रुको! ये पाप है!”
लेकिन तभी रामलाल, उसकी पत्नी और बेटा मशालों की रोशनी में प्रकट हुए। उनके चेहरे खून से सने थे, आँखों में पागलपन चमक रहा था।
दानवी शक्ति का दावा
रामलाल ने जोर से हँसते हुए कहा—
“तुम सबको लगता है मैं पागल हूँ? नहीं... मैं चुना हुआ हूँ। इन बच्चों की बलि से मुझे ऑकल्ट पावर मिलेगी। धन, सौभाग्य और अमरत्व मेरे होंगे। तुम लोग मुझे रोक नहीं सकते।”
उसकी पत्नी कमला ने अपनी आँखें बंद कीं और मंत्रों में और जोर लगाया। हरि ने कटोरा उठाकर आग में चढ़ाया। धुएँ की मोटी लपटें उठीं और पूरे कमरे में फैल गईं।
तभी... एक ठंडी हवा चली। मशालें झिलमिला उठीं। और ऐसा लगा जैसे कमरे में कोई अनदेखा दैत्य उतर आया हो।
गाँववालों का आक्रोश
अब ग्रामीण डर और गुस्से में भर गए। उन्होंने लाठियाँ उठाकर परिवार पर धावा बोल दिया।
एक तरफ लोग चिल्ला रहे थे, दूसरी तरफ रामलाल मंत्र पढ़ता जा रहा था—
“माँ काली... शक्ति दे...”
लेकिन उसकी आवाज़ अचानक दब गई। क्योंकि उसी वक्त, उसके बेटे हरि के हाथ से कटोरा छूट गया और खून जमीन पर फैल गया।
अरुण ने आखिरी ताकत जुटाकर चीख मारी। उसकी चीख इतनी दिल दहला देने वाली थी कि मानो उस घर की दीवारें हिल गई हों।
पहला अंत, लेकिन अधूरा
गाँववालों ने रामलाल और उसके परिवार को पकड़ लिया। मारपीट और हाहाकार के बीच अरुण को बचा लिया गया।
लेकिन पूजा अब वापस नहीं आ सकती थी। उसका निर्जीव शरीर वहीं पड़ा रहा।
गाँववालों ने पुलिस को बुलाया। ओझा परिवार को गिरफ्तार कर लिया गया।
लेकिन जब पुलिस ने घर की पूरी तलाशी ली, तो तहखाने की दीवारों पर खुदे अजीब प्रतीक और काले मंत्रों वाली एक मोटी किताब मिली।
किताब में लिखा था—
"यह तो बस शुरुआत है... असली शक्ति बलि से नहीं, बल्कि आत्मा को जगाने से मिलती है।"
👉 (आगे भाग 3 में: उस किताब का रहस्य, पूजा की आत्मा का प्रकट होना और ऑकल्ट पावर की अंतिम भयावह सच्चाई सामने आएगी।)
ऑकल्ट पावर
भाग 3 : आत्मा का प्रतिशोध
रामलाल और उसका परिवार गिरफ्तार होकर जेल में डाल दिए गए। लेकिन गाँववालों के दिल से डर नहीं गया। पूजा की मौत का ग़म पूरे गाँव पर साया बनकर छा गया।
अरुण ज़िंदा तो था, लेकिन रातों को चीखकर उठ जाता—
“दीदी... दीदी यहाँ है... वो मुझे बुला रही है...”
अजीब घटनाएँ
गाँव में अचानक अजीब हादसे शुरू हो गए—
-
रात को घरों की छतों पर किसी के दौड़ने की आवाज़ें आतीं।
-
खेतों में खून से भरे हाथों के निशान मिलते।
-
और कई लोगों ने देखा कि पूजा सफेद कपड़े में, खून से भीगे बालों के साथ, पेड़ों के नीचे खड़ी रहती।
गाँव के पुजारी ने कहा—
“यह बच्ची की आत्मा भटक रही है। उसकी बलि अधूरी रही। जब तक उसका क्रोध शांत न हो, गाँव शापित रहेगा।”
किताब का रहस्य
पुलिस ने तहखाने से मिली मोटी किताब जिला मुख्यालय भेजी। लेकिन जब अधिकारियों ने उसे खोला, तो पन्नों से बदबूदार धुआँ उठा। उसमें लिखा था:
“मृत आत्मा कभी चैन से नहीं रहती। बलि के बाद उसकी आत्मा उस स्थान से बंध जाती है। वह शक्ति पाने वाले की ढाल भी बन सकती है और विनाश का कारण भी।”
रामलाल ने शायद इसी कारण बच्चों को चुना था—क्योंकि मासूम आत्माएँ सबसे ज़्यादा शक्तिशाली मानी जाती हैं।
जेल का खौफ
उधर, जेल में रामलाल और उसका परिवार भी चैन से नहीं सो पा रहा था।
हर रात उसे वही मासूम पूजा नज़र आती।
कभी कोने में बैठी रोती हुई...
कभी खून से सना चेहरा लेकर दीवार पर चढ़ती हुई।
और कभी आधी रात को उसके कान में फुसफुसाती—
“ऑकल्ट पावर चाहिए थी न?... अब मैं तेरे साथ रहूँगी।”
एक रात रामलाल ने पागलों की तरह दीवार पर सिर मारना शुरू किया और चिल्लाया—
“बंद करो! मुझे मत देखो... मुझे शक्ति चाहिए थी, श्राप नहीं!”
लेकिन अगली सुबह जब पहरेदारों ने देखा, तो रामलाल की लाश फर्श पर पड़ी थी—चेहरा नीला पड़ चुका था, जैसे किसी ने उसकी साँसें छीन ली हों।
गाँव में आतंक
उसके मरते ही गाँव में घटनाएँ और भयानक हो गईं।
-
दूध अपने आप खून में बदल जाता।
-
मंदिर की घंटियाँ आधी रात को खुद बजने लगतीं।
-
औरतें कहतीं कि उनके सपनों में पूजा आती है और कहती है—
“तुम सबने मुझे क्यों नहीं बचाया?”
गाँव का हर कोना एक कब्रिस्तान जैसा लगने लगा।
अंतिम रात
पुजारी और गाँव के बुजुर्गों ने मिलकर एक रात पूजा की आत्मा को शांति दिलाने का अनुष्ठान किया। चारों ओर दीपक जलाए गए, मंत्र गूँजने लगे।
अचानक आकाश काला पड़ गया। आँधी चलने लगी। और बीच में वही बच्ची प्रकट हुई—चेहरा सफेद, आँखें लाल, और बाल खून से भीगे हुए।
वह चीखकर बोली—
“मैंने तुमसे कुछ नहीं माँगा था... फिर मेरी जान क्यों ली? अब ये गाँव भी चैन से नहीं रहेगा...”
जैसे ही पुजारी ने पवित्र मंत्र पूरे किए, तेज़ रोशनी फैली। कुछ पल के लिए सब खामोश हो गया। और फिर... पूजा गायब हो गई।
भय का असर
गाँव शांत हो गया, लेकिन डर कभी खत्म नहीं हुआ। लोग आज भी कहते हैं कि उस जगह पर रात को जाते ही बच्चों की रोने की आवाज़ें आती हैं।
पुलिस ने केस बंद कर दिया, लेकिन गाँववालों का विश्वास है कि "ऑकल्ट पावर" की वह किताब कहीं न कहीं अब भी मौजूद है। और जिसे भी वह मिलेगी, उसका अंजाम रामलाल से भी ज़्यादा भयानक होगा।
समाप्त
😨 यह रही पूरी 3 भागों में भयावह कहानी – "ऑकल्ट पावर"।
🩸 Horror Lovers Support Message 🩸
☕ **अगर आपको मेरी डरावनी कहानियाँ पढ़कर मज़ा आता है, तो आप मुझे घर बैठे चाय पिला सकते हैं।**
हाँ, सच में! बस आपका छोटा-सा डोनेशन मेरी अगली हॉरर चाय की कीमत बन सकता है।
👻 और सुनिए…
अगर आप चाहें, तो मैं आपकी पहचान को अपनी अगली कहानी में हमेशा के लिए अमर कर दूँगा।
* आपका **नाम** मेरी कहानी का हिस्सा बनेगा।
* आपका **शहर, कस्बा या देश** किसी डरावनी जगह के रूप में मेरी हॉरर दुनिया में जुड़ सकता है।
* चाहे वो **एक रहस्यमयी किरदार**, **भूतिया गली**, या **अभिशप्त हवेली** के नाम पर ही क्यों न हो।
🎭 यानी आप सिर्फ मुझे सपोर्ट नहीं कर रहे,
बल्कि अपनी पहचान को मेरी कहानियों की **अंधेरी दुनिया में ज़िंदा रख रहे हैं।**
तो…
👉 मुझे चाय पिलाइए,
👉 और अपनी **परछाई** मेरी अगली हॉरर कहानी में देखिए।
नोट्स - 🌑 क्या आपके साथ कभी कोई ऐसी डरावनी या रहस्यमयी घटना घटी है, जिसे आप आज तक भूल नहीं पाए?
या शायद आपके किसी दोस्त, रिश्तेदार या परिवार के सदस्य ने ऐसा खौफनाक अनुभव झेला हो?
🔥 अगर हाँ, तो आप अपनी कहानी हमारे साथ साझा कर सकते हैं।
हमारा मक़सद है – उन सच्ची घटनाओं को दुनिया के सामने लाना, ताकि लोग उन्हें पढ़ें, महसूस करें और सच्चाई से रूबरू हो सकें।
✍️ आपकी भेजी गई कहानी न सिर्फ़ प्रकाशित होगी, बल्कि आपके नाम के साथ साझा भी की जाएगी (अगर आप चाहें तो गुप्त भी रह सकते हैं)।
क्योंकि हर कहानी, हर अनुभव मायने रखता है – और हो सकता है आपकी कहानी किसी और की आँखें खोल दे।
Contact me
reaxaccer58@gmail.com
reaxaccer1999@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें