The Monster of Florence: Church of the Black Cross
📌 The Monster of Florence: Church of the Black Cross
क्या आप तैयार हैं फ्लोरेंस के उस काले रहस्य को जानने के लिए, जिसने 1968 से 1985 तक पूरे इटली को खौफ़ से जकड़ लिया था?
“फ्लोरेंस का राक्षस: ब्लैक क्रॉस का चर्च” कोई साधारण कहानी नहीं है, बल्कि खून, पागलपन और शैतानी रिचुअल्स की एक सच्ची गवाही है।
---The Monster of Florence: Church of the Black Cross
यहाँ, शांत जंगलों और सुनसान घाटियों में, युवा प्रेमी जोड़े रहस्यमयी ढंग से मौत के घाट उतार दिए जाते थे।
उनकी चीखें पेड़ों में समा जातीं और पीछे रह जाता सिर्फ़ खून, डर और काले चर्च का साया।
लोग कहते हैं कि यह सब शैतानी चर्च – ब्लैक क्रॉस की बलि थी।
कुछ इसे शैतानी पादरी की करतूत मानते हैं, तो कुछ का विश्वास है कि यह नरक से आया हुआ राक्षस था जो इंसानी खून पीकर ज़िंदा रहता था।
---The Monster of Florence: Church of the Black Cross
आज तक, कोई नहीं जान पाया कि असली हत्यारा कौन था।
पुलिस की फ़ाइलें, अधूरी गवाही और रहस्यमयी गुमशुदगियाँ – सब मिलकर इस कहानी को और भी खतरनाक बना देती हैं।
इटली के दिल में छिपा यह रहस्य आज भी उतना ही ज़िंदा है, जितना उन शिकारों का खून जो ज़मीन पर बहाया गया था।
अगर आपके दिल में हिम्मत है तो इस डरावनी और खौफ़नाक सच्चाई को पढ़ें…
पर याद रखिए, यह कहानी आपके सपनों में भी आपका पीछा करेगी।
---The Monster of Florence: Church of the Black Cross
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“The Monster of Florence: Church of the Black Cross”
(फ्लोरेंस का राक्षस: काली क्रॉस का चर्च)
भाग 1 : रक्त की रातें
इटली के फ्लोरेंस के बाहर फैली हरियाली और अंगूर के बगीचों में, 1968 की उस गर्मी में पहली बार यह खून बहा। लोग कहते हैं, यह केवल किसी मनोविकृत इंसान का काम नहीं था, बल्कि उस रात से एक पुराना शैतानी अनुष्ठान फिर से जीवित हुआ।
पहला शिकार
21 अगस्त 1968 की रात, जब अँधेरा अपनी गहराई पर था, एक कार जंगल की पगडंडी पर खड़ी थी। अंदर एक युवा युगल — Antonio Lo Bianco और Barbara Locci। वे प्रेम में थे, परंतु प्रेम की गोद ही उनकी कब्र बन गई। अचानक गोलियों की आवाज़ गूँजी, चीखें दब गईं और कुछ ही क्षण में दोनों की देहें रक्त से लथपथ हो गईं।
पर सबसे भयावह था अपराधी का काम खत्म होने के बाद किया गया कार्य। महिला के शरीर के हिस्सों को काटा गया — जैसे कि यह किसी जंगली जानवर का शिकार न होकर किसी अनुष्ठान का हिस्सा हो।
अंधेरे का चर्च
फ़्लोरेंस की पुरानी गलियों में एक गुप्त अफवाह चलती थी — “Chiesa della Croce Nera” (काली क्रॉस का चर्च)। यह चर्च कभी सार्वजनिक नहीं हुआ, इसका कोई पवित्र घंटाघर नहीं था, और न ही जीसस की मूर्तियाँ। वहाँ सिर्फ़ उल्टा क्रॉस, लाल मोमबत्तियाँ और बाइबल पर पैर रखकर अंदर जाने की परंपरा थी।
कहते हैं, जो भी उस चर्च में शामिल होता, उसे अपने जीवन की सबसे प्यारी चीज़ बलि चढ़ानी पड़ती थी। कोई अपना बच्चा देता, कोई माँ-बाप, तो कोई अपने प्रेमी को ही। माना जाता था कि ऐसा करने पर शैतान की आत्मा उसकी रक्षा करेगी, उसे शक्ति देगी, और उसकी इच्छाएँ पूरी होंगी।
काली भविष्यवाणी
पुराने पन्नों पर दर्ज था — “जिस दिन जीसस ने अपने पैगंबर चुने, उसी दिन उनमें से कुछ ने सच्चाई को त्यागकर अंधेरे से हाथ मिलाया। तब से यह रक्त-चक्र कभी रुकता नहीं, यह चलता आया है, और चलता रहेगा।”
1968 की घटना इसी भविष्यवाणी का दोबारा प्रकट होना माना गया। हर हत्या, हर चीख़, हर कटे हुए अंग को चर्च के भीतर एक रिचुअल के रूप में इस्तेमाल किया जाता। जब युगल मारे जाते, उनकी आत्माओं को अंधेरे की ताक़त को अर्पित किया जाता।
जनता की दहशत
लोग सोचते थे यह कोई अकेला दरिंदा है, पर सच यह था कि ये हत्याएँ शैतान-पूजा करने वाले कल्ट की भेंट थीं। गाँवों की बुज़ुर्ग औरतें कहतीं — “रात को अंगूर के बागों में मत जाना, वहाँ सिर्फ़ प्रेम नहीं पनपता, वहाँ शैतान अपनी बलि लेता है।”
हर नए चाँद की रात एक अनुष्ठान होता, और उसी रात एक नया जोड़ा मारा जाता। यह कोई पागलपन नहीं था, बल्कि एक तयशुदा रिचुअल — शैतानी चर्च का “पवित्र बलिदान”।
भाग 2 : काली क्रॉस का चर्च
(Church of the Black Cross)
फ्लोरेंस की चुप गलियों से बाहर, जंगलों के भीतर एक पुरानी पत्थर की इमारत खड़ी थी। बाहर से देखने पर यह किसी परित्यक्त चैपल जैसी लगती थी, टूटी हुई खिड़कियाँ, बेलों से लिपटी दीवारें, और दरवाजे पर जंग लगे लोहे का ताला। लेकिन जो लोग जानते थे, वे समझते थे — यह “Chiesa della Croce Nera” है — काली क्रॉस का चर्च।
1. चर्च का प्रवेश
जब भी कोई नया व्यक्ति इस कल्ट में शामिल होता, उसे चर्च के दरवाज़े तक ले जाया जाता। दरवाज़े के ठीक सामने एक पुरानी बाइबल रखी रहती थी। लेकिन यह बाइबल पवित्र नहीं रही — इसके पन्ने खून से सने, कई जगह जले हुए थे।
नियम था: अंदर जाने से पहले उस बाइबल पर पैर रखो।
जैसे ही कोई अपना पहला कदम बाइबल पर रखता, मानो उसके दिल से इंसानियत का आखिरी कतरा निकल जाता।
2. ब्लैक मास (The Black Mass)
अंदर का दृश्य और भी डरावना था। दीवारों पर उल्टे क्रॉस टंगे रहते, लाल मोमबत्तियाँ जल रही होतीं। बीच में एक काले पत्थर का वेदी (altar) बना हुआ था, जिस पर खून से बने चिन्ह और प्रतीक बने रहते।
यहाँ पर हर नए चाँद की रात “ब्लैक मास” होता।
ब्लैक मास शुरू होते ही, चर्च का पादरी — जिसे लोग “Il Sacerdote Oscuro” (डार्क प्रीस्ट) कहते थे — लाल वस्त्र पहनकर आता। उसके हाथ में एक पुराना खंजर होता, जिस पर सदियों पुराने नाम खुदे होते।
वह ज़ोर से मंत्र पढ़ता:
"Ad inferos, ad sanguinem, ad pactum aeternum..."
(“नरक की ओर, रक्त की ओर, अनंत समझौते की ओर…”)
3. बलि की परंपरा
हर सदस्य को अपनी “सबसे प्यारी चीज़” बलिदान करनी पड़ती।
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किसी ने अपना छोटा बच्चा वेदी पर रखा…
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किसी ने अपने बूढ़े पिता को बाँध कर खड़ा कर दिया…
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कोई अपने प्रेमी को ही लाकर दे देता।
खंजर उठता, चीखें गूँजतीं, और फिर खून उस पत्थर पर बहकर लाल मोमबत्तियों को और चमकदार कर देता।
लोग मानते थे — जितना प्रिय बलिदान होगा, उतनी ही गहरी शक्ति शैतान से मिलेगी।
4. शैतानी साज़िश
पर यह चर्च केवल बलि का स्थान नहीं था। यहीं से “फ्लोरेंस का राक्षस” बाहर भेजा जाता। जब भी कोई युगल जंगल में अकेला होता, चर्च के अनुयायी उन्हें ढूँढकर मारते, और उनके शरीर के अंग चर्च में लाकर अर्पित करते।
महिला के कटे हुए अंग, खून से भीगे कपड़े, यह सब वेदी पर रखे जाते।
उनका मानना था — यह सब जीसस के नाम का अपमान है। “जिस दिन जीसस ने अपने पैगंबर चुने थे, उसी दिन कुछ ने उसे धोखा दिया था। हम वही धोखा आगे बढ़ा रहे हैं।”
5. डर और अफवाहें
गाँवों में अफवाह थी कि जब ब्लैक मास होता, तो आसमान में चाँद गायब हो जाता, और पेड़ों की शाखाओं पर कौवे बैठकर चीख़ते रहते। कभी-कभी लोगों ने चर्च के आस-पास से औरतों की चीखें और बच्चों की रोने की आवाज़ सुनी थीं। लेकिन पुलिस या गाँव के लोग कभी अंदर जाने की हिम्मत नहीं करते थे।
क्योंकि सब मानते थे — “जो इस चर्च के अंदर गया, वह कभी वापस इंसान बनकर नहीं लौटा।”
6. पीड़ितों की आत्माएँ
कहा जाता है कि जो युगल मारे जाते, उनकी आत्माएँ उस चर्च के भीतर कैद कर ली जातीं। रात को लाल मोमबत्तियों की रोशनी में जब हवा गूँजती, तो भीतर से रोने, हँसने और चीखने की आवाज़ आती। मानो वे आत्माएँ अब भी अपनी मौत के दर्द में बँधी हों।
भाग 3 : रक्त की भविष्यवाणी
(The Prophecy of Blood)
1. 1980 का काला दशक
सत्तर के दशक के बाद, 1980 के शुरुआती वर्षों में फ्लोरेंस पर एक अदृश्य साया छा गया। हर कुछ महीनों में, नई चाँद की रात, किसी न किसी जोड़े की लाश जंगलों से मिलती।
गोलियों की आवाज़ से रात जाग जाती, लेकिन असली डर सुबह सामने आता — जब पुलिस कार की खिड़कियाँ तोड़कर अंदर झाँकती और देखती कि दोनों शव पड़े हैं… और महिला का शरीर विकृत किया गया है।
कभी उसका स्तन गायब होता, कभी उसका गर्भाशय। लोग कहते — यह किसी जानवर का काम नहीं, यह किसी इंसान की इच्छा नहीं, यह “शैतान की भूख” है।
2. पुलिस की असफलता
पुलिस ने बार-बार कई लोगों को पकड़ा। कभी किसी किसान को, कभी किसी आवारा को। लेकिन सबूत या तो ग़ायब हो जाते या उलझे हुए निकलते। हर बार जनता सोचती — “अब कातिल पकड़ा गया।” मगर कुछ महीनों बाद फिर वही हत्या।
यह मानो कोई अदृश्य शक्ति पुलिस को धोखा देती थी। कहते हैं, कुछ जाँच अधिकारी रात में गुप्त रूप से चर्च तक पहुँचे थे, लेकिन अगले दिन उनकी लाश मिली, आँखें फटी हुई और ज़ुबान काटी हुई।
3. चर्च का रहस्य
“काली क्रॉस का चर्च” अब तक केवल अफवाह था। लेकिन एक रात, एक ग्रामीण ने देखा कि पाँच लोग लाल चोगा पहने, चर्च के दरवाज़े की ओर बढ़ रहे हैं। उनके हाथ में काले बैग थे, जिनसे खून टपक रहा था।
वह छिपकर देखता रहा। जैसे ही वे अंदर गए, मोमबत्तियाँ जलीं, और अंदर से ड्रम और मंत्रोच्चार की आवाज़ आई।
वह व्यक्ति अगले दिन गाँव लौटकर सबको बताना चाहता था। लेकिन उसके मुँह से एक शब्द भी न निकल सका — उसका गला कटा हुआ मिला, और उसकी जीभ गायब थी।
4. शैतानी पादरी का चेहरा
पादरी — Il Sacerdote Oscuro — का असली चेहरा कोई नहीं जानता था। लोग कहते थे वह इंसान नहीं है।
कभी कहा जाता, वह सदियों पुराना भूत है जो नए शरीर में जन्म लेता है।
कभी कहा जाता, वह एक साधारण व्यक्ति था जिसने अपने बच्चे को बलि चढ़ाकर शैतान से अनंत जीवन माँगा था।
लेकिन चर्च में जाने वाले कहते थे — उसकी आँखें लाल आग की तरह जलती थीं, और उसकी आवाज़ इतनी भारी थी कि पत्थर भी काँप उठते।
5. अंतिम बलि (1985)
8 सितंबर 1985 की रात, अंतिम दर्ज हत्या हुई। पीड़ित वही पैटर्न — एक युवा जोड़ा। लेकिन इस बार बात अलग थी।
शव मिलने पर पुलिस ने पाया कि महिला का पूरा शरीर गायब है, केवल खून से सना कपड़ा बचा है।
लोग कहते हैं — यह हत्या किसी बलि का अंत थी। चर्च ने घोषणा की थी —
"जब 16 आत्माएँ हमारी हो जाएँगी, तब शैतान खुद उतरकर इस शहर पर अधिकार करेगा।"
यह 16वीं बलि थी।
6. भविष्यवाणी पूरी हुई?
उस हत्या के बाद अचानक हत्याएँ बंद हो गईं। कोई नया केस नहीं, कोई नई लाश नहीं।
क्या पुलिस ने कातिल को पकड़ लिया?
क्या चर्च के सदस्य गायब हो गए?
या फिर बलि पूरी होने के बाद शैतान तृप्त हो गया?
गाँवों की औरतें कहती थीं — “अब रक्त की प्यास पूरी हो गई। पर याद रखो, यह अनंत चक्र है। यह फिर लौटेगा।”
7. चर्च का अंत या शुरुआत?
90 के दशक में जब पुलिस ने पुरानी इमारतें खंगालनी शुरू कीं, तब उन्हें जंगल में वह पुराना चर्च मिला।
अंदर सिर्फ़ राख थी। उल्टा क्रॉस टूटा पड़ा था। वेदी पर काले धब्बे थे — सूखा हुआ खून।
लेकिन जब उन्होंने मोमबत्तियों के अवशेष हटाए, तो नीचे पत्थर पर लिखा मिला —
"Nos redibimus. Sub luna nova."
(“हम लौटेंगे। नई चाँद के नीचे।”)
8. आत्माओं का शाप
आज भी, फ्लोरेंस के बाहरी इलाक़ों में जब नई चाँद की रात आती है, तो लोग कहते हैं —
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अंगूर के बागों में कदमों की आवाज़ सुनाई देती है।
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कारों के शीशे पर खून के धब्बे मिलते हैं।
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औरतों की चीखें जंगल में गूँजती हैं।
कुछ ने तो रात में लाल चोगा पहने आकृतियाँ भी देखीं — जैसे चर्च अब भी ज़िंदा हो।
निष्कर्ष
“The Monster of Florence” केवल एक सीरियल किलर नहीं था। यह एक परंपरा थी, एक शैतानी अनुष्ठान जो सदियों से चलता आया है।
आज भी वह चर्च टूटा पड़ा है, लेकिन जो उसके दरवाज़े के पास जाता है, उसे बाइबल का वह जला हुआ पन्ना दिखता है जिस पर खून से लिखा है —
"जीसस नहीं, केवल शैतान।"
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