Blood Countess – भाग 2: तहखाने की चीखें (Elizabeth Bathory की डरावनी दास्तान)
🔥 क्या आप उस रहस्य में झाँकने की हिम्मत रखते हैं जहाँ तहखाने की दीवारें खुद चीखती हैं और हर कोने में खून की बदबू आपका स्वागत करती है? 🩸
Blood Countess – भाग 2: तहखाने की चीखें में जानिए Countess Elizabeth Bathory की खौफनाक दास्तान, जिसमें बाथहाउस के रहस्य, विश्वासघात और खून से भरी रातें आपकी रूह को कंपा देंगी।
हर पन्ना डर और रहस्य से भरा है—जहाँ इंसानों की आख़िरी सांस, अंधेरे में छिपी साज़िश और मृत आत्माओं की गूँज आपको अपनी कुर्सी पर जकड़ कर रखेगी। क्या आप तैयार हैं उस डर का सामना करने के लिए जो समय और मौत को चुनौती देता है?
🩸 **विशेष चेतावनी:** यह कहानी केवल उन पाठकों के लिए है जिनकी हिम्मत असली हॉरर को झेलने की है।
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Blood Countess
(Elizabeth Báthory की शैतानी दास्तान)
भाग 1 : लाल हवेली का सन्नाटा
1604, हंगरी।
सर्दियों की ठंडी हवा कार्पेथियन पहाड़ों से उतरकर गाँवों को हड्डियों तक जमा देती थी। बर्फ से ढके जंगल में सिर्फ भेड़ियों की हुआँ-हुआँ सुनाई देती। और उन जंगलों के बीच खड़ा था—Cachtice Castle, एक पत्थरों का विशाल किला।
लेकिन यह किला केवल पत्थरों से नहीं बना था…
इसकी हर दीवार, हर गलियारा खून और चीखों से भरा हुआ था।
गाँव वाले इसे "लाल हवेली" कहते थे।
रात में कोई भी उसके पास नहीं जाता।
“रुको मत…! मुझे मत ले जाओ…”
किसी लड़की की कराह सुनाई देती, और फिर सब सन्नाटा।
लोग whisper करते:
“काउंटेस Elizabeth फिर शिकार पर निकली है।”
काउंटेस Elizabeth
वो महिला, जिसकी सुंदरता पर लोग मर मिटते, लेकिन उसकी नज़रों में करुणा नहीं—बस बर्फ जैसी ठंडक।
उसकी काली पोशाकें, ऊँची कॉलर, और लाल होंठ उसे और भी खतरनाक बनाते।
Elizabeth जब महल की ऊँची बालकनी से झांकती, तो नीचे खड़े गाँव वाले उसकी आँखों से काँप जाते।
लेकिन उसके भीतर एक ऐसा राज़ था, जो इंसानों से नहीं… शैतान से जुड़ा था।
पहली घटना
गाँव की एक लड़की Klara – गरीब किसान की बेटी, जिसे काम की तलाश थी।
एक दिन किले के नौकर आए और बोले:
“Countess तुम्हें काम पर बुला रही हैं। तुम्हें अच्छा खाना और रहने को जगह मिलेगी।”
Klara का परिवार भूखा मर रहा था। वे राज़ी हो गए।
लेकिन जब Klara हवेली के अंदर दाखिल हुई… उसने जो देखा, उसकी रूह काँप गई।
अंधेरे गलियारे, जहाँ दीवारों पर मोमबत्तियाँ टिमटिमा रही थीं।
एक कमरे से खून की बदबू।
और सीढ़ियों के नीचे लोहे की जंजीरें बंधी, जिन पर सूखा खून चिपका था।
Klara भागना चाहती थी… पर तभी एक महिला नौकरानी ने उसका हाथ पकड़ लिया।
“चुप रहो, वरना वो सुन लेगी।”
“वो… कौन?” Klara ने काँपते हुए पूछा।
महिला ने धीरे से कहा—
“Countess.”
खूनी खेल
उसी रात, Countess Elizabeth ने Klara को अपने सामने बुलाया।
“कितनी प्यारी त्वचा है…” Elizabeth ने उसकी ठुड्डी उठाते हुए कहा।
“तुम्हें पता है, जवानी कितनी नाजुक चीज़ है? ये पल भर में मिट सकती है। लेकिन मैं इसे हमेशा अपना बना सकती हूँ।”
Klara की आँखों से आँसू बहने लगे।
“मुझे जाने दो… प्लीज़।”
Elizabeth ने मुस्कुराते हुए अपने नौकर को इशारा किया।
लोहे की एक तेज़ सुई Klara के बाजू में घुसा दी गई। उसकी चीख पूरे किले में गूँज उठी।
Elizabeth ने एक सोने का प्याला उठाया, उसमें Klara का खून टपकाया… और धीरे-धीरे होंठों से लगाया।
“आह… जवानी का अमृत।”
फिर उसने अपने स्नानगृह का दरवाज़ा खुलवाया।
एक बड़ा टब… जिसमें खून उबाल की तरह भरा गया।
Elizabeth ने उसमें उतरते हुए आँखें बंद कीं और फुसफुसाई:
“अब मैं फिर जवान हूँ।”
गाँव का डर
गाँव में यह खबर फैल गई कि Klara वापस नहीं आई।
लोग इकट्ठा होकर बात करने लगे—
“हमारी बेटियाँ एक-एक करके गायब हो रही हैं।”
“कोई वापस क्यों नहीं लौटता?”
“उस हवेली से रात में चीखें आती हैं।”
एक बूढ़ी औरत ने धीरे से कहा:
“वो इंसान नहीं… वो शैतान की दुल्हन है। Countess Elizabeth—Blood Countess।”
Elizabeth की बैकस्टोरी (ट्विस्ट की झलक)
Elizabeth का यह पागलपन अचानक शुरू नहीं हुआ था।
जब वह बच्ची थी, उसकी माँ उसे एक अंधेरे जंगल में लेकर गई थी।
वहाँ लाल चोगा पहने एक चुड़ैल ने उसकी हथेली पर चाकू से कट लगाया और खून चाटा।
उसने Elizabeth से कहा था:
“तेरी किस्मत खून से जुड़ी है। अगर सुंदरता और ताकत चाहती है, तो इंसानों का खून पीना होगा। तभी तेरा रूप कभी नहीं मिटेगा।”
उस रात Elizabeth ने सपने में एक काले साए को देखा—
जो बोला:
“मैं तेरी आत्मा का मालिक हूँ। मेरी पूजा कर… और इंसानों की कुर्बानी दे।”
उस दिन से Elizabeth का दिल पूरी तरह पत्थर हो गया।
भाग 1 का अंत : अंधेरा बढ़ता है
अब हर हफ़्ते कोई न कोई लड़की किले में जाती… और कभी लौटकर नहीं आती।
लोग अपने बच्चों को घरों में छिपाने लगे।
लेकिन Countess के नौकर रात में गाँव में घूमते और जो भी लड़की दिखती, उसे उठा ले जाते।
गाँव के पादरी ने चर्च में खड़े होकर कहा:
“हम शैतान के घर के पास रह रहे हैं। अगर इसे रोका नहीं गया, तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी मारी जाएँगी।”
लेकिन कौन मुकाबला करे Countess का?
उसके पीछे सेना थी, दौलत थी… और सबसे बड़ा—शैतान का आशीर्वाद।
और किले की ऊँची बालकनी पर खड़ी Elizabeth ठंडी हवा में फुसफुसाती—
“ये खून… मेरी अमरता का रास्ता है।”
Blood Countess — भाग 2: तहखाने की चीखें
नोट: यह भाग लंबे और विस्तृत उपन्यास-शैली में लिखा गया है — संवाद, बैकस्टोरी, खूनी दृश्यों और ट्विस्ट के साथ।
प्रस्तावना
कलेव (किलों के बीच की हवा) हमेशा भारी खून-सी गंध लिए नहीं घूमती। पर Cachtice की हवादार गलियों में तो जैसे हर सांस में किसी के आख़िरी शब्द घुले हुए थे। जो लोग महल की ओर बढ़ते, उनके कदम अपने आप धीमे पड़ जाते; मानो पत्थरों ने चेतावनी दे दी हो—"वापस न लौटो।"
और फिर भी—जब दुःख, भूख, या कोई अँधा वचन मन में पनपता है—मानव कमजोर हो जाता। यही कमजोरी Countess Elizabeth ने अपनी ताकत बनाई थी।
यह भाग उस रात से शुरू होता है जब महल की दीवारों में सीसे की तरह फटी चीखों ने गाँव की नींद छीन ली।
अध्याय 1 — थुर्ज़ो का वचन
Palatine György Thurzó के चेहरे पर उम्र की रेखाएँ थीं, पर आँखों में आग अभी भी जवान थी। उनके पास Countess के खिलाफ सुनी गई अफवाहें सिर्फ कहानियाँ नहीं थीं—उनके टेबल पर पड़े पत्रों में नाम, दिनाँक और लापता युवतियों के सूची के साथ ठोस साक्ष्य थे।
एक झांझर-रात में जब बर्फ की बौछारें झपकी ले रही थीं, Thurzó ने अपने मुख्य सलाहकार Janos से कहा:
“इसे केवल सुनकर न छोड़ा जा सके। यह हमारे राज्य की आत्मा पर हमला है। तुम लोगों को चुनो—निभा कर आओ।`
Janos ने आँसू-सा चेहरा करके कहा, “हज़रत, लोग डरते हैं। Countess के वफादारों ने हमेशा अपने रक्षकों के सिर काट दिए हैं। पर अगर आप कहें—हम चलेंगे।”
थुर्ज़ो ने मुस्कराहट नहीं दी। उसकी गरदन में एक पुराना जख्म चमक उठा—युद्ध की वह देर जो उसने कभी नहीं भगाई थी।
“कल रात,” उसने कहा, “मैं उस हवेली में घुसूँगा। पर न तो हम तलवार से सीधे घुसेंगे, न सभी एक साथ। छुपकर जाएँगे—जैसे चोर, पर इरादा न्याय होगा।”
अध्याय 2 — भाग में आई आवाजें
किस्मत के खेल में एक और हस्ती थी—László, गाँव का शिकारी, जिसकी आँखें दूर की घास में जान ले लेती थीं। उसके साथ एक लड़की मिली—Erzsébet, जो किसी तरह महल की गुलाम से भाग निकली थी। उसकी पीठ पर जख्मों की लकीरें अभी भी गहरे लाल थीं। उसकी आँखों में जो कुछ भी झलकता था, वह मौत का चेहरा बन रहा था—पर एक हिस्सा अभी भी जिंदा था: बदले की आग।
“मैंने वहाँ देखा,” Erzsébet फुसफुसाई। उसकी आवाज़ थपकी-सी थी, पर शब्द पत्थर की तरह ठंढे थे—“बड़ी सी बाथ-हाउस। Countess के बाथ के आसपास दीवारें—लहू की चमक। हमने—हमने कहा कि ये क्या है, पर… कोई नहीं सुनता।”
László ने उसकी जकड़ाई पकड़ी और धीमे से कहा, “जो देखा उसको सच बनाना है। चलो, रात के बाद।”
Erzsébet ने एक छोटा सा लटकन निकाल कर दिखाया—उसमें एक छोटी तस्वीर थी, Klara की। उसकी उंगलियाँ काँप रहीं थीं।
“वह मेरी दोस्त थी,” उसने कहा। “अगर मैं चुप रहूँ, तो उसकी आत्मा मुझसे नहीं माफी माँगेगी।”
अध्याय 3 — रूट्स और रेज़र
Countess का महल सिर्फ पत्थरों का घर नहीं था—उसके नीचे गहरे, सर्पिल तहखाने थे जहां से एकदम से गंध उठती—मिट्टी, धातु और बूंदा-बींद खून। तहखाने की दीवारों पर खून के निशान वैसा नहीं था जैसा सामान्य हत्या में हों; उसके निशान लोग कला की तरह व्यवस्थित लगते—लकीरें, घेरें, और एक विशिष्ट चिन्ह: एक छोटे, उलझे हुए त्रिशूल जैसा निशान जो किसी प्राचीन पूजा का प्रतीक प्रतीत होता था।
Elizabeth के स्नानगृह तक जाने वाला रास्ता चूहों के झुंडों, कांच की मोमबत्तियों और उन पगडंडियों से होकर गुज़रता था जहाँ मानव कंठ से निकली चीखें अभी गूँजती थीं। वहाँ एक बड़ा दर्पण था—सफेद संगमरमर से बना, किनारों पर लाल-सरकता ताम्र-काट जो महीन लेखों से भरा हुआ था। दर्पण पर कभी-कभी छाया चलती दिखती—छाया जिसकी अपनी चाल थी।
एक रात, जब Elizabeth अकेली थी, उसने दर्पण के सामने बैठकर एक पुराना कागज़ निकाला—यह उसकी माँ का लिखा पत्र था, जिसके कुँए जैसे कोनों में रातों के घूंट भरे हुए थे। उसने पढ़ा:
“मेरी बच्ची—तू खूबसूरत है, पर सुंदरता का बोझ नहीं हर किसी के लिए। जब दुनिया तुझे धोखा देगी, तब यह रुकावट तेरी राह में खड़ी होगी। मैंने तेरे लिए रास्ता चुना। याद रख—खून तेरा दर्पण है। खून से तू परती हो जाएगी।”
Elizabeth की उंगलियाँ कलम-धातु पर दब गईं—वह मुस्कुरा उठी, पर मुस्कुराहट में पत्थर की तीखापन भी था।
“वह एक झूठ बोलती थी,” उसने कहा, पर शब्द हवा में घुल गए।
अध्याय 4 — योजना और विश्वासघात
Thurzó ने रात के हमले के लिए चुने हुए छोटे दल को इकट्ठा किया—János, László, कुछ भरोसेमंद सैनिक और Erzsébet। उनकी चाल धीमी और घातक थी।
“हम सीधा हॉल में नहीं जाएंगे,” Thurzó ने फुसफुसाया। “तहखाने के रास्तों से—हम उन चीज़ों से गुज़रेगें जो नहीं देखे जाने चाहिए।”
पर विश्वासघात हवा में लहरा रहा था। महल के भीतर कुछ लोग Countess के प्रति वफादार थे—वे उसे न केवल डर से बल्कि सम्मान और किसी अंधरे समझौते की वजह से मानते थे।
एक रात, जब दल तहखाने की पहली दीवार तक पहुँचा, जनरल आवाज़ें धीमी थीं—पर अचानक एक टार्च उनके पीछे जल उठा और ज़ोरदार कदमों की आवाज़ ने तमाम योजना को बिखेर दिया।
“ध्यान नहीं रखा—किसी ने चुना कि जो भी आता, उस पर ताबड़तोड़ वार हो।” Janos ने फुसफुसाया। László ने देखा कि कुछ पत्थर हिले थे—किसी ने उन्हें धोखा दिया था।
अध्याय 5 — बदनाम स्नानगृह
जब वे अंदर घुसे, जो दृश्य दिखाई दिया वह किसी नरक का था। कमरे का केंद्र एक विशाल टब था—उसमें खून की लालत भरी लहरें थीं। हवा में खून की गर्मनी थी। Countess बाथ से निकली—उसके केश अभी भी गीले थे, उसके होंठ लाल-गहरे, और उसकी हर मुस्कान में किसी की आख़िरी साँस दबती थी।
"तुम किसका आदेश लाए हो?" उसने धीमी आवाज़ में कहा, पर आवाज में घनघनाती धातु थी।
Thurzó ने तलवार उठाई—पर Countess ने एक इशारा किया और तहखाने से कुछ निकला—पहरेदारों के चेहरे जल रहे थे, पर लाशें नहीं थीं; वे मूर्तिकला सी दिखती हुई, पर उनकी आँखें जीवंत थीं। किसी अँधेरे बल ने उन्हें उठाया था—कहीं बीच जंगल और साए का मिलन।
Laśzló ने भागकर एक मोमबत्ती को पकड़ा और उसे Countess की ओर फेंका—पर वह बस हवा में रोक दी गई। इलाका कड़ा हो गया—जैसे धातु की दीवारों ने हृदय पर हाथ रख दिया हो।
बाद में जो हुआ उसे शब्दों में बाँधना मुश्किल है—जलती रोशनाइयों में तलवारों की घोष, चीखें, और फिर अचानक—सन्नाटा।
जब धुआँ उतर गया, Thurzó की टीम का एक-एक सदस्य फर्श पर पड़ा था—कुछ घायल, कुछ अर्ध-होश में। पर Countess का रूप कहीं दिखा नहीं।
तभी Erzsébet ने कुछ हमले खाये हुए लोगों के ऊपर झुककर कहा—“वह चली गई है… पर उसने कुछ पीछे छोड़ा।” उसने एक छोटे बाक्स की ओर इशारा किया जिसमें सूखे कागज़ और एक पत्थर जैसा सामान था—पत्थर पर वही त्रिशूल चिन्ह था।
János ने कागज़ खोला—यह Countess की डायरी का एक पन्ना था, और उस पर कुछ शब्द तेज़-शब्दों में लिखे थे:
"हर बूंद़ मेरी है — पर मेरी आत्मा किसी और की है। यह दिया मुझे दिया गया था — और बदले में मैंने उसकी भूख लगाई।"
अध्याय 6 — ब्रिक से बनी कफ़न
भोर होने पर Thurzó ने महल के सैकड़ों लोगों को इकट्ठा किया। Countess की सत्ता पर सवाल उठे। राजा के दूत आए—पर कुछ बातें ऐसी थीं जिन्हें शब्दों में कहने से पहले ही डर दबा देता था।
सबने मिलकर निर्णय लिया—Countess को सार्वजनिक रूप से जेल नहीं दिया जाएगा; उसकी शक्ति और प्रभाव बहुत गहरा था। इसलिए एक ऐसा निर्णय लिया गया जिसे इतिहास में शाश्वत सजा कहा गया—वह दीवार के पीछे जिंदा बंद कर दी जाएगी।
diary के कुछ पन्ने और Erzsébet की वाक्य-गवाही ने साबित किया कि Countess ने न जाने कितनी जीवनें टोपी की थीं। Thurzó ने कठोर आवाज़ में कहा, “उसे दीवार के भीतर रखा जाएगा—जैसे राक्षसों को रखा जाता है।”
दीवार बनते समय Countess ने चिल्लाकर कहा—"तुम सब मूर्ख हो! तुमने कभी नहीं जाना—उसने जो दिया था वह तुम्हे भी दे सकता है।" उसकी आँखों में कुछ ऐसा चमका जिसे शब्द बताने में अक्षम थे—एक अंतहीन भूख, और साथ ही एक दंड का वचन।
जैसे-जैसे ईंटें ठोस होती गईं, हवेली से किसी ने सुनी—a धीमी गुनगुनाहट। फिर एक पल के लिए सन्नाटा—फिर बहुत हल्की सी हँसी, जो किसी इकाई की नहीं बल्कि कई आवाज़ों का मिश्रण थी।
और जब आख़िरी पत्थर रख दिया गया, तो गाँव के कुछ लोग भीड़ से अलग खड़े थे—उनकी आँखों में राहत और भय का अजीब मिश्रण था।
अध्याय 7 — डायरी का अंत और नया संशय
रात में, Thurzó ने उस डायरी के बाकी पन्नों की पड़ताल की। उसने पाया कि Countess ने अपने हृदय की गहराई से कुछ बातें लिखी थीं—उनकी माँ, चुड़ैल और एक विशाल शक्ति का संकेत। पर पन्नों के आख़िरी हिस्से में एक लाइन ने उसकी रीढ़ हिला दी:
"मैंने उसका नाम नहीं लिखा—पर वह यहाँ है। मैंने शरीर दिया, और उसने मुझे नाम दिया—"Vörös Árny"।
"वह अब मेरी नहीं," लिखा था, "और मैं—मैं उसका अगला मेज़बान नहीं बल्कि एक खोल हूँ।"
यह शब्द Thurzó के कानों में सीधी गूँजी—यह विचार कि Elizabeth केवल एक इंसान नहीं, बल्कि किसी और चीज़ की थैली थी—उसने रात की ठंडी हवा में एक बुरे सपने की तरह फैल गया।
और सबसे आख़िरी पन्ने पर, जिसे किसी ने अधूरा छोड़ा था, कुछ ऐसा लिखा था कि पढ़ने वाले के हाथ कांप उठते:
"जब दीवार बना ली जाएगी, तब भी छाया पीछा करेगी। वह मेरी माँ की माँ की माँ तक जाती है—और वह वहाँ से कभी नहीं जाएगी।"
यह पता चल गया—सजा भले दी गई हो, पर जो शक्ति Elizabeth में बसी थी, वह किसी और रूप में लौट सकती थी।
समापन — एक नई खून की सुराग
Mahल को शांति लौट आई—कम-से-कम बाहर से। पर अंदर, जहाँ ईंटों के पीछे अँधेरा तना हुआ था, कुछ सुस्त आवाज़ें अभी भी चल रही थीं। Erzsébet ने Thurzó को एक छोटा सा लाल हार दिया—उसमें कुछ हेयर का तिनका और सूखी पत्तियाँ थीं।
"यह Klara का था," उसने कहा। "मैंने इसे उठा लिया था।"
Thurzó ने हार अपनी हथेली में लिया—उसके अंदर कुछ कंपन था, जैसे किसी पुरानी याद की धड़कन। उसने सोचा कि अब सब खत्म हो गया। पर जब उसने घर की दुआ में उसे जला दिया, तब भी रात की ठंडी हवा ने किसी अनदेखे ज़ोर से गुनगुनाहट की—जैसे कोई बारीक-सी हँसी हवा में तैर रही हो।
Janos ने आख़िरकार कहा—"हमने एक जानवर को दीवार के पीछे डाल दिया, पर क्या हम उसकी जड़ काट पाये?" उसकी आवाज़ में अब भी वह सवाल मौजूद था जो इतिहास में घुटता रहेगा।
और जहाँ भी कोई छोटा चिराग टूटे, वहाँ पर एक सूक्ष्म-सा लाल धब्बा दिखाई देता—जैसे किसी ने दीवार के भीतर से अपनी विरोधी छाप छोड़ी हो।
अगला कदम: भाग 3 में हम और गहरे जाएगा—Elizabeth की माँ की पंक्तियों का इतिहास, "Vörös Árny" का पुराना जाल, और यह खुलेगा कि वास्तव में किसने थुर्ज़ो को वह शक्ति दी थी—या किसने उसे धोखा दिया। पाठक अब तक की कहानियों के बीच कहीं एक बड़ी साज़िश की गुत्थी महसूस करेगा।
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