Mrs. Senta Claus
स्थान – गारलैंड, टेक्सास (Garland, Texas, USA)
सन – 1987 में पहली घटना दर्ज हुई, लेकिन लोगों ने इसे लंबे समय तक छुपाए रखा।
भाग 1 — वह रात जब खुशी ने चीखों का रूप ले लिया
आज का दिन हमारे घर में बहुत खास था।
जन्मदिन के रंग, हंसी की महक, और पापा का ढेर सारा झूठा कॉन्फिडेंस—सब कुछ हवा में तैर रहा था।
मेरा छोटा भाई जैमी माईकल आज 5 साल का हुआ था, पर बातें ऐसी… जैसे किसी बूढ़े पादरी की आत्मा उसके अंदर हो।
मम्मी डायरा माईकल, जिन्हें इस दुनिया में कुछ याद रहता है तो बस मेकअप।
पापा रियो माईकल, जिन्हें हर चीज आती है पर कोई भी चीज पूरी नहीं आती।
और मैं… सियारा माईकल, अपने शहर में “सुपर गर्ल” के नाम से फेमस।
और हमारा प्यारा—माफ कीजिए—कुत्ता नहीं!
सेम। पापा–मम्मी को उसे कुत्ता कहना भी पसंद नहीं।
आज हम सब इतने खुश थे क्योंकि शादी के बाद पहली बार हम नाना-नानी के घर जा रहे थे—गारलैंड, टेक्सास।
एक पुराना शहर… जिसके बारे में कई सच्ची डरावनी घटनाएँ दर्ज हैं।
पहुंचना — और पहला खतरा
कार जैसे ही पुराने लकड़ी के गेट के पास रुकी, गेट अपने-आप “कुर्र… कुर्र…” की आवाज़ करके खुल गया।
“नानी!” जैमी चिल्लाया।
पर नानी वैसी नहीं थीं जैसी याद थीं।
उनका चेहरा फीका, आंखें धंसी हुईं, और शरीर किसी पुराने पेड़ की सूखी छाल जैसा लगता था।
नाना हमेशा की तरह अपनी असली राइफल लेकर बाहर आए।
मगर समस्या ये थी कि उन्हें दिखाई बहुत कम देता था।
उन्होंने आते ही चिल्लाकर कहा—
“कौन है?! बताओ वरना गोली चलाऊँगा!”
और गोली चला भी दी!
पापा डर से चिल्लाए—
“डैड! हम हैं! रियो माईकल!”
“ओह… अच्छा… अच्छा,” नाना बोले और फिर राइफल को ऐसे पकड़ा जैसे खिलौना हो।
अंदर जाते ही एक अजीब बात नोटिस हुई—
नानी के घर में क्रिसमस ट्री हर गली, हर कमरे में लगा था… जबकि अभी जुलाई का महीना था।
और हर पेड़ पर लाल रंग के छोटे-छोटे मानव हाथ जैसे सजावट के खिलौने लटके थे।
मैंने मम्मी से पूछा—
“मम्मी, ये… ये क्या हैं?”
मम्मी हल्के से हंस दीं—
“अरे, तेरी नानी हमेशा से थोड़ी… अलग रही हैं।”
लेकिन मैं जानती थी…
ये हँसी नकली थी।
शहर का सच — Mrs. Senta Claus
उस रात, खाने के बाद नाना ने अपनी कहानी शुरू की।
गहरी आवाज़ में बोले—
“सावधान रहना बच्चों…”
“गारलैंड में रात 1 से 3 बजे के बीच Mrs. Senta Claus आती है।”
मम्मी जैसे ही ये सुनी—सहम गईं।
नाना ने धीमी आवाज़ में आगे कहा—
“वो असली सैंटा क्लॉज़ नहीं…
और वो इंसान भी नहीं।”
“हर साल एक बार आती है।
काले फटे कपड़े…
चेहरे पर लाल खून से बनी मुस्कान…
और उसके पास लाल टोकरा…”
“वो क्या करती है?” मैंने पूछा।
नाना ने मेरी ओर देखा… और फुसफुसाए—
“धीरे बोलो… दीवारें भी सुनती हैं।”
“वो बच्चों को उठा ले जाती है…
और बदले में उनके परिवारवालों को एक बॉडी पार्ट देकर जाती है।
कभी किसी का कान…
कभी नाक…
कभी आँख…”
नानी ने पहली बार आज कुछ बोला—
“और अगर वो किसी बच्चे को मन से अच्छा समझ ले…”
उन्होंने अपनी उंगली जैमी की तरफ उठाई,
“तो वो उसे कभी वापस नहीं करती।”
मेरा दिल जैसे धक… धक… धक…
गले में आकर अटक गया।
जैमी की पहली अजीब हरकत…
रात जैसे-जैसे गहरा रही थी, अजीब चीजें होने लगी थीं।
सब सो रहे थे… पर जैमी नहीं।
वो खिड़की के पास खड़ा था।
मैं डरकर उसके पास गई—
“जैमी? क्या कर रहे हो?”
उसने मेरी तरफ नहीं देखा, बस बोला—
“वो आ गई है।”
मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
“कौन?”
जैमी धीरे से हंसा…
वो हंसी 5 साल के बच्चे वाली नहीं थी।
“Mrs. Senta Claus…
वो मुझसे मिलने आई है।”
और तभी…
खिड़की पर किसी के नाखून रगड़ने की आवाज़ आई—
“क्र्र्र्र… क्र्र्र्र…”
मैं जड़ हो गई।
हिम्मत करके पहरा हटाकर बाहर देखा…
और मेरी चीख गले में ही दब गई—
लंबी काली परछाई…
लाल चमकती आँखें…
और सिर पर पुरानी लाल टोपी।
वो हिल भी नहीं रही थी…
बस खिड़की की ओर देख रही थी।
नानी का सच
दहशत में भागते हुए मैं नानी के कमरे में गई।
नानी जाग रही थीं।
कमरे में छोटी-छोटी लकड़ी की गुड़ियाएँ थीं—
सभी के चेहरे… बिना आँखों के।
मैंने नानी से कहा—
“नानी! कोई बाहर है! लाल टोपी में—”
नानी उठकर बोलीं—
“वो तुम्हारे लिए नहीं आई…
वो तो आने वाली है उस बच्चे के लिए…”
उनका सिर हिलकर जैमी की ओर इशारा कर रहा था।
मैंने चिल्लाकर कहा—
“आपको कैसे पता?”
नानी कांपती आवाज़ में बोलीं—
“क्योंकि…
Mrs. Senta Claus मेरी बहन थी।”
मेरा खून जम गया।
“क्या??”
नानी रो पड़ीं—
“सन 1987 में, मेरी बहन ने एक सौदा किया था।
उसे अनंत सौंदर्य चाहिए था…
लेकिन शर्त थी कि हर साल उसे एक बच्चा देना होगा।”
“वो बच्चा… जिसे वो पसंद करे।
जिसमें… ‘कुछ खास’ हो।”
मैंने कांपते हुए पूछा—
“और जैमी?”
नानी की आँखों में डर था—
“उसने जैमी के जन्मदिन से पहले ही उसकी आत्मा को चिह्नित कर दिया था।
वो उसे लेने आई है…”
और तभी…
पूरे घर की बत्तियाँ एक साथ बंद हो गईं।
अंधेरे में कदमों की आवाज़
“थक… थक… थक…”
लकड़ी पर किसी भारी चीज़ के चलने की आवाज़।
कोई सीढ़ियाँ चढ़ रहा था।
जैमी के रूम की तरफ।
मैं दौड़ी—
“जैमी!!!”
पर जैसे ही कमरे के पास पहुँची…
दरवाज़ा खुद-ब-खुद बंद हो गया।
अंदर से जैमी की हंसी…
और एक महिला की गहरी, करकरी आवाज़—
“हैलो… जैमी।
तुम्हें मेरा तोहफा पसंद आया?”
मैंने दरवाजे को जोर से धक्का दिया—
पर वो नहीं खुला।
अचानक ताला खुद घूमकर खुल गया।
मैं अंदर गई—
जैमी गायब।
खिड़की खुली।
और फर्श पर रखा था—
एक मानव का उंगली…
जो अभी भी गर्म थी।
उसके पास एक पर्ची—
“पहला तोहफा।
जल्द मिलेंगे,
—Mrs. Senta Claus”
और ये कहानी… कभी खत्म नहीं होगी
उस रात के बाद से जैमी कभी नहीं मिला।
पर हर 7 दिन बाद, हमारे घर की डोरमेट पर एक नया बॉडी पार्ट रखा मिलता है।
कभी किसी का कान…
कभी किसी की आँख…
कभी कोई बच्चे का टूटा हुआ दांत…
और हर बार पर्ची पर सिर्फ एक ही लाइन—
“मैं जैमी को तैयार कर रही हूँ।”
कोई नहीं जानता कि Mrs. Senta Claus कहाँ रहती है।
पर गारलैंड के लोग कहते हैं—
वो उन बच्चों को ले जाती है…
जो कुछ ‘खास’ होते हैं।
और कहानी हर बार, हर जगह,
एक नए बच्चे के साथ शुरू होती रहती है…
Mrs. Senta Claus
भाग 2 — वह घर जहाँ बच्चे सिर्फ याद बन जाते हैं
जैमी के गायब होने के बाद घर में कोई घड़ी नहीं चलती थी।
समय जैसे डर के आगे झुक गया था।
मम्मी आईने के सामने बैठकर मेकअप करती रहती थीं—
पर इस बार चेहरे को सजाने के लिए नहीं…
बल्कि इसलिए ताकि आईने में अपने डर को न देखना पड़े।
पापा हर चीज़ ठीक करने की कोशिश करते—
पर हर बार कुछ न कुछ और टूट जाता।
रेडियो अपने-आप चलने लगता।
टीवी पर सिर्फ बर्फ़ गिरती दिखती…
और उसी बर्फ़ के बीच एक औरत का चेहरा उभरता—
लाल मुस्कान…
सूखी आँखें…
और होंठों पर सिली हुई हंसी।
नानी चुप थीं।
नाना अपनी बंदूक अब हर समय लोड करके रखते थे।
और सेम…
वो रात भर दरवाज़े के सामने बैठकर गुर्राता रहता—
जैसे किसी को रोक रहा हो।
पहला संकेत — जैमी ज़िंदा है
जैमी के गायब होने के तीसरे दिन…
मेरे कमरे की दीवार पर कुछ लिखा मिला।
लाल रंग में…
जो पेंट नहीं था।
“दीदी, ठंड बहुत है।”
मेरी सांस रुक गई।
ये जैमी की लिखावट थी।
मैं भागकर नानी के पास गई।
उन्होंने देखा…
और बस इतना कहा—
“वो अब आधा इस दुनिया में है…
आधा उसकी दुनिया में।”
“उसकी?” मैंने पूछा।
नानी ने धीमे से कहा—
“North Pole नहीं…
वो जगह जहाँ खोए हुए बच्चे कभी बड़े नहीं होते।”
Mrs. Senta Claus की दुनिया
नानी ने पहली बार पूरी सच्चाई बताई।
1987 में, गारलैंड के पास एक पुराना चर्च था—
St. Hollow’s Church।
क्रिसमस की रात, वहाँ 13 बच्चे गायब हुए थे।
पुलिस ने कहा—
“भाग गए होंगे।”
लेकिन असलियत यह थी—
चर्च के नीचे एक दरवाज़ा था।
जो सिर्फ सर्दियों की सबसे लंबी रात में खुलता था।
उस दरवाज़े के पार…
Mrs. Senta Claus की दुनिया थी।
एक बर्फ़ीला जंगल।
जहाँ पेड़ इंसानी हड्डियों से बने थे।
जहाँ बर्फ़ सफ़ेद नहीं…
बल्कि राख जैसी काली थी।
और बीच में था उसका घर—
लाल नहीं…
खून के रंग का।
जैमी का सपना… या चेतावनी
उस रात मैंने सपना देखा।
जैमी एक लकड़ी की मेज़ पर बैठा था।
उसके सामने ढेर सारे खिलौने…
लेकिन हर खिलौने की आँखें हिल रही थीं।
उसके पीछे वो खड़ी थी।
Mrs. Senta Claus।
अब उसका चेहरा साफ दिख रहा था—
आधी चमड़ी गायब…
अंदर से हड्डियाँ झांक रही थीं।
और उसकी आवाज़…
“तुम्हारी बहन बहुत बहादुर है…
शायद अगली बारी उसी की होगी।”
मैं चीखकर उठी।
और देखा—
मेरे बिस्तर के पास एक छोटा जूता रखा था।
जैमी का।
नाना की आखिरी गोली
नाना ने फैसला किया—
“अब बहुत हो गया।”
आधी रात को वो बंदूक लेकर बाहर निकले।
बर्फ़ गिर रही थी…
जबकि जुलाई का महीना था।
अचानक सामने वो आ गई।
लाल कपड़ों में…
पर कपड़े हिले नहीं—
जैसे शरीर ही कपड़ा हो।
नाना ने गोली चलाई।
धमाका हुआ।
लेकिन Mrs. Senta Claus हंसी।
गोली हवा में रुक गई…
और धीरे-धीरे मुड़कर नाना की तरफ लौट आई।
अगली सुबह…
नाना की कुर्सी पर सिर्फ उनका कोट था।
अंदर कुछ नहीं।
शहर में फैलता डर
गारलैंड में अब हर घर के बाहर नमक डाला जाने लगा।
हर बच्चा खिड़की से दूर सुलाया जाने लगा।
लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा।
हर हफ्ते…
एक नया बच्चा गायब।
और हर घर के दरवाज़े पर—
एक “तोहफा”।
कभी जीभ।
कभी उंगलियाँ।
कभी दिल।
और हर बार वही हस्ताक्षर—
Mrs. Senta Claus
मेरी बारी
एक रात…
मेरे नाम की पर्ची आई।
“सियारा, तुम तैयार हो।”
कमरे का तापमान गिरने लगा।
शीशे जमने लगे।
सेम जोर से भौंकने लगा—
फिर अचानक चुप।
दरवाज़ा खुला।
वो सामने थी।
उसने झुककर मेरे कान में कहा—
“सुपर गर्ल…
तुम्हारे बिना कहानी अधूरी है।”
और फिर सब अंधेरा।
लेकिन कहानी यहाँ खत्म नहीं होती
क्योंकि मैं लिख रही हूँ।
कैसे?
कहाँ से?
ये मैं भी नहीं जानती।
कभी अस्पताल के कमरे से…
कभी बर्फ़ के जंगल से…
कभी किसी बच्चे के सपने के अंदर से।
अगर तुम ये पढ़ रहे हो—
तो ध्यान रखना—
अगर तुम्हारे शहर में
जुलाई में बर्फ़ गिरे
या
क्रिसमस ट्री अपने-आप सज जाए
या
दरवाज़े पर कोई “तोहफा” मिले—
तो समझ लेना…
Mrs. Senta Claus
तुम्हारे शहर का नाम सीख चुकी है।
🎄✨ **Merry Christmas!** ✨🎄
नमस्कार दोस्तों,
इस Christmas पर मैं सिर्फ जश्न नहीं मना रहा…
बल्कि उन सभी लोगों के लिए आभारी हूँ
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