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The 31:59 Phenomenon

31:59 — When the Year Never Dies Based on True Unsolved New Year Cases | Psychological Time Horror Series Disclaimer: This story is inspired by real-life events, police records, missing-person reports, and unsolved cases. Names, locations, and certain circumstances have been altered, but the fear… has not been changed. Prologue The world celebrates the New Year on December 31 . But there are places where December 31 never ends. Places where clocks freeze at 12:31:59 . And whoever is present at that moment… never enters the next year. Part 1: The Final Night Countdown Location: Sector–9, Old Industrial Zone City: (Name removed from records) Date: December 31 Time: 11:17 PM The cold was unnatural. The fog didn’t rise from the ground— it seeped out of the walls. I am Aryan Verma , a freelance documentary writer. I was researching unsolved cases connected to December 31. Over the past 19 years, from this very area, every December 31 night between 11:59 PM and 12:05 AM , at least seven...

डेविल बाइबल

डेविल बाइबल


🩸 Devil Bible – शैतान की वह किताब जिसे पढ़ना मौत को बुलाना है 🩸

क्या आपने कभी सुना है किसी ऐसी किताब के बारे में, जिसे इंसान के हाथों लिख पाना असंभव हो?
इतनी बड़ी, भारी और डरावनी कि उसके हर पन्ने में खून की स्याही, काले जादू के मंत्र, और नरक के रहस्य छिपे हों?
यही है Devil Bible — वह किताब जिसे एक रात में लिखा गया, लेकिन इंसान ने नहीं… खुद शैतान ने!



----डेविल बाइबल


भाग 1 – शैतान का सौदा

सन् 1229 में बोहेमिया के एक दूर-दराज़ मठ में एक युवा भिक्षु हर्मन को उसके पापों के लिए दीवार में जिंदा चुनने की सज़ा दी जाती है।
लेकिन मरने से पहले वह एक सौदा करता है — एक ही रात में दुनिया की सबसे बड़ी और अद्भुत किताब लिखने का वादा
लेकिन जैसे-जैसे रात बढ़ती है, हर्मन समझता है कि यह काम इंसानी ताकत से बाहर है।
तभी कमरे में अंधेरा उतरता है… और लाल आँखों वाला शैतान सामने आता है।
वह सौदा करता है — "तुम्हारी आत्मा के बदले, यह किताब पूरी हो जाएगी… लेकिन मैं इसके अंदर रहूँगा।"
सुबह होते-होते किताब पूरी हो जाती है, और उसमें शैतान का एक चित्र भी — इतना जीवंत कि देखने वाला सांस लेना भूल जाए।



----डेविल बाइबल


भाग 2 – पन्नों से बाहर आता अंधेरा

सुबह, मठ में अजीब घटनाएँ शुरू हो जाती हैं।
किताब से बदबू आती है, पन्नों पर अक्षर हिलते हैं, और जो भी इसे छूता है — गायब हो जाता है
रात होते-होते मठ का माहौल मौत की ठंड से भर जाता है।
मध्यरात्रि में किताब अपने-आप खुलती है, और शैतान के चित्र की आँखें लाल चमकने लगती हैं
दीवारों से मरे हुए भिक्षुओं की आत्माएँ निकलती हैं, और कमरे में काली धुंध से शैतान का असली रूप प्रकट होता है।
वह कहता है — "अब तुम्हारी बारी है… मेरी किताब में आने की।"
हर्मन भागने की कोशिश करता है, लेकिन किताब के पन्नों से निकले पंजे उसका गला दबा देते हैं।
सुबह, मठ खाली मिलता है — बस मेज़ पर रखी किताब के कवर पर हर्मन का चेहरा उभरा हुआ होता है… और शैतान के चित्र की मुस्कान पहले से चौड़ी।



----डेविल बाइबल


⚠️ चेतावनी

यह सिर्फ कहानी नहीं है — कई लोग मानते हैं कि Devil Bible सच में मौजूद है और उसे पढ़ने वाला हमेशा के लिए बदल जाता है… या फिर जिंदा नहीं बचता।
अगर आप इसे पढ़ने की हिम्मत रखते हैं, तो याद रखिए — शायद यह आखिरी चीज़ होगी जो आपने देखी होगी।



----डेविल बाइबल


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🕯 अगली बार… शायद हम असली Devil Bible के पन्ने आपके सामने खोलें… अगर आप हिम्मत रखते हैं।




Devil Bible

भाग 1 – शैतान का सौदा
https://horrorstory1600ad.blogspot.com

सन् 1229 — बोहेमिया का एक सुदूर पहाड़ी इलाका।
आसमान पर भारी बादलों की परतें थीं, जैसे किसी अदृश्य हाथ ने सूर्य को ढक दिया हो। उस घाटी के बीच, एक ऊँची चट्टान पर बना Podlažice मठ खड़ा था। मोटी पत्थर की दीवारें, भीतर से टपकता सीलन, और हमेशा ठंडी हवा का बहना — यहां के भिक्षु दिन-रात ईश्वर की आराधना में लगे रहते थे।

लेकिन उस रात, मठ की घंटी असामान्य तरीके से बजी।
एक युवा भिक्षु, हर्मन (Herman) को मठ की सभा में बुलाया गया था। उसके चेहरे पर पसीना और डर साफ झलक रहा था।

गंभीर अपराध

प्रधान भिक्षु ने ठंडी आवाज़ में कहा —
“हर्मन, तुमने मठ के नियम तोड़े… और सिर्फ नियम नहीं, ईश्वर का विश्वास भी। तुम्हारा पाप इतना बड़ा है कि माफी असंभव है।”

हर्मन ने कांपती आवाज़ में पूछा — “मुझे… क्या सज़ा मिलेगी, पिताजी?”

प्रधान भिक्षु ने निष्ठुर स्वर में कहा —
“तुम्हें… जिंदा दीवार में चुनवा दिया जाएगा। कोई आवाज़, कोई रोशनी, कोई सांस तुम्हारे पास नहीं पहुंचेगी। तुम अंधेरे में अकेले दम घुटते-घुटते मरोगे… और आत्मा सदा के लिए भटकती रहेगी।”

सभा कक्ष में ठंडी हवा का झोंका आया। बाकी भिक्षु क्रॉस पकड़कर बैठे थे। हर्मन के होंठ सूख गए थे। उसकी आंखों में बेबसी तैर रही थी।

असंभव वादा

हर्मन ने घुटनों के बल गिरकर कहा —
“मुझे एक मौका दें… मैं ऐसा काम करूँगा कि इस मठ का नाम सदा अमर हो जाएगा। मैं एक ही रात में… एक ऐसी किताब लिख दूंगा जिसमें सम्पूर्ण मानव ज्ञान, पवित्र शास्त्र और दुनिया के रहस्य होंगे। कोई इंसान कभी वैसी किताब नहीं बना पाएगा।”

सभा में सन्नाटा छा गया। प्रधान भिक्षु ने उपहास भरी मुस्कान दी —
“एक रात में? हर्मन… यह नामुमकिन है। लेकिन… अगर सुबह होते-होते वह किताब तैयार नहीं हुई, तो तुम्हें वही सज़ा मिलेगी।”

निर्णय हो गया। मोमबत्तियां बुझा दी गईं।


रात की शुरुआत
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हर्मन को मठ की सबसे गहरी और ठंडी कोठरी में बंद कर दिया गया। सिर्फ एक लंबी लकड़ी की मेज़, कुछ स्याही, कलम और गधे की खाल से बने खाली पन्ने उसके सामने थे।

पहली घड़ी में उसने प्रार्थना की।
दूसरी घड़ी में उसने पहला शब्द लिखा।
तीसरी घड़ी तक उसका हाथ दर्द से सुन्न हो चुका था…

पन्ने फैले हुए थे, लेकिन इतने विशाल आकार में लिखना मानो पहाड़ खोदना हो। आधी रात गुजरते-गुजरते उसे एहसास हुआ —
यह काम इंसान के बूते का नहीं।


अंधेरे का आगमन

मोमबत्ती की लौ अचानक कांपी, जैसे किसी अदृश्य सांस ने उसे छुआ हो।
हर्मन के कानों में एक धीमी फुसफुसाहट गूंजी —
“तुम यह अकेले नहीं कर सकते, हर्मन…”

उसने इधर-उधर देखा, पर कोठरी में सिवाय सन्नाटे के कुछ नहीं था।
फिर वह आवाज़ और स्पष्ट हुई, जैसे किसी ने उसके कान से होंठ लगाकर कहा हो —
“मैं तुम्हें मदद कर सकता हूँ… तुम्हें वह किताब पूरी करने में, एक ही रात में… लेकिन इसकी कीमत होगी।”

हर्मन का दिल तेज धड़कने लगा —
“कौन… कौन हो तुम?”

तभी मोमबत्ती की लौ बुझ गई।
अंधेरे में, कमरे के कोने से एक जोड़ी चमकती लाल आँखें उभरीं। उनके पीछे-पीछे एक लंबा, विकृत आकार — नुकीले सींग, चमड़े जैसे पंख, और ऐसा चेहरा जो न इंसानी था, न जानवर का।

“मुझे लोग कई नामों से जानते हैं… लेकिन तुम्हारे लिए, मैं वही हूँ जो तुम्हें बचा सकता है।”

हर्मन की सांस अटक गई।
“क्या… क्या चाहते हो?”

“तुम्हारी आत्मा। बदले में… यह किताब तैयार होगी। और इसमें… मैं भी रहूँगा।”


सौदा
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हर्मन ने कांपते हुए सिर झुका दिया। उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया।
ठंडे, खुरदरे पंजे ने उसका हाथ पकड़ लिया। एक पल में उसकी उंगलियों में जलन फैल गई, जैसे अंगारे भरे हों।

फिर, चमत्कार शुरू हुआ — हर्मन की कलम अपने-आप चलने लगी। अक्षर, चित्र, शब्द — सब कागज़ पर उभरने लगे। उसके सामने के खाली पन्ने भरते गए।
उसके हाथ से खून रिसने लगा, और वही खून स्याही बनकर पन्नों को लाल कर रहा था।

पन्नों पर पवित्र शास्त्र, चिकित्सा, जादू-मंत्र, खगोल विज्ञान, और अंत में — पूरा एक पन्ना सिर्फ शैतान की तस्वीर के लिए बना।


शैतान का चित्र

लाल आंखों वाला वह आकृति अब सामने थी। हर्मन ने उसका चेहरा वैसा ही उतार दिया जैसा उसने देखा था —
एक पन्ने पर, पूरे आकार में, सींग, पंजे, और चौड़ी मुस्कान के साथ।
चित्र ऐसा था कि देखने वाला पन्ने से नज़र हटा ही न सके… और जितनी देर देखे, उतनी देर उसकी सांस भारी होती जाए।


जब पहली किरण खिड़की से भीतर आई, हर्मन के सामने वह विशाल किताब पूरी थी।
प्रधान भिक्षु ने देखकर कहा —
“यह… असंभव है…!”

लेकिन उस किताब से एक ठंडी लहर फैल गई। और उसके पन्नों में छिपी स्याही… अब भी धीरे-धीरे हिल रही थी, मानो सांस ले रही हो।


[भाग 1 समाप्त]




Devil Bible
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भाग 2 – पन्नों से बाहर आता अंधेरा

सुबह की ठंडी रोशनी मठ के पत्थरों पर फैल रही थी, लेकिन हवा में कुछ अलग था।
मानो सूरज ने खुद अपनी गर्मी पीछे खींच ली हो।
प्रधान भिक्षु और बाकी सभी ने हर्मन के सामने रखी किताब को घेरा हुआ था।

किताब के मोटे, गधे की खाल वाले पन्ने सुनहरी रोशनी में हल्के-हल्के सांस लेते जैसे लग रहे थे। हर पन्ने से हल्की-सी भाप उठती थी — जैसे किसी जीव के शरीर से निकलती हो।


पहला संकेत

जब एक बुज़ुर्ग भिक्षु, फादर मिलान, ने किताब का पहला पन्ना पलटा, तो हल्की सी गंध फैली —
सड़ी हुई मांस और लोहे की जंग की।
पन्नों पर लिखे अक्षर मानो हिल रहे हों, धीरे-धीरे रेंगते हुए।

“ये… ये तो जीवित है…” उसने बुदबुदाया।

अचानक एक मोमबत्ती खुद-ब-खुद बुझ गई। और उसी क्षण, कोठरी के सबसे अंधेरे कोने से खरोंचने जैसी आवाज़ आई… घ्र्र्र… ख्र्र्र…


भिक्षुओं का गायब होना

दोपहर होते-होते मठ का वातावरण बदल गया।
दो युवा भिक्षु, जो किताब को उठाकर लाइब्रेरी में ले जाने जा रहे थे, वापस नहीं लौटे।
जब उन्हें ढूंढा गया, तो पुराने तहखाने में उनके जूतों के पास सिर्फ खून के धब्बे और एक अधखुला पन्ना मिला, जिस पर किसी ने अपने नाखूनों से खुरचकर एक शब्द लिखा था —
"Infernus" (नरक)।


रात का श्राप

उस रात, मठ की घंटी अपने-आप बजने लगी।
कोई भिक्षु रस्सी नहीं खींच रहा था, फिर भी गहरी, कर्कश आवाज़ घाटी में गूंज रही थी।
हर घंटे के साथ, ठंड बढ़ती गई।

हर्मन अपनी कोठरी में लेटा था, लेकिन उसकी आंखें बंद होते ही उसे वही लाल आंखें दिखाई देतीं।
और हर बार शैतान की आवाज़ सुनाई देती —
“वादा पूरा हुआ, हर्मन… अब मेरी बारी है…”


किताब का खुलना

मध्यरात्रि को, मठ के मुख्य कक्ष में किताब अपने-आप खुल गई।
पन्ने ऐसे पलटने लगे जैसे कोई अदृश्य हाथ उन्हें तेजी से पढ़ रहा हो।
फिर वह रुक गई — शैतान के चित्र वाले पन्ने पर।

चित्र की आंखें धीरे-धीरे लाल चमकने लगीं।
कक्ष की हवा भारी हो गई, जैसे चारों तरफ से दीवारें दबाने लगी हों।
और फिर — चित्र के होंठों के किनारे मुस्कान खिंच गई।


मृत आत्माओं की वापसी

बाहर से ठंडी हवा का झोंका आया, और दरवाजे अपने-आप बंद हो गए।
मोमबत्तियां फूट-फूटकर बुझ गईं।
अंधेरे में, पुराने मरे हुए भिक्षुओं की परछाइयाँ दीवारों से निकलने लगीं — उनकी आंखें खोखली, चेहरों पर काले धब्बे, और मुंह से सिर्फ फुसफुसाहट:
“हमने उसे सौंप दिया… अब वह हमें ले जाएगा…”

एक-एक कर वे भूतिया आकृतियां हर्मन की ओर बढ़ीं।


शैतान का आगमन

किताब से काली धुंध निकलने लगी।
वह धुंध जमीन पर फैलकर एक विशाल, विकृत शरीर का आकार लेने लगी — वही जो हर्मन ने उस रात देखा था।
पंख फैलते ही पूरा कक्ष हिल गया।
पत्थरों में दरारें आ गईं।

शैतान ने भारी आवाज़ में कहा —
“तुमने मुझे बुलाया, और अब मैं यहाँ हूँ। इस मठ का, इसकी आत्माओं का, और इस किताब का मालिक… मैं हूँ।”

उसकी नज़र हर्मन पर पड़ी।
“चलो, अब तुम्हारी बारी है… मेरी किताब के भीतर आने की।”


आखिरी चीख

हर्मन भागने लगा, लेकिन उसके पैरों के नीचे पत्थर टूट गए।
वह सीधे किताब के पन्नों की ओर खिंचने लगा।
उसने दीवार पकड़ने की कोशिश की, लेकिन पन्नों से निकले काले पंजों ने उसका गला जकड़ लिया।

आखिरी क्षण में उसने बाकी भिक्षुओं की तरफ देखा — उनकी आंखें खाली थीं, जैसे उनकी आत्माएं पहले ही किताब में कैद हो चुकी हों।

हर्मन की चीख पूरे मठ में गूंजी… और फिर सन्नाटा।


अंत का श्राप

सुबह, मठ के दरवाजे खुले पाए गए।
अंदर कोई भिक्षु नहीं था।
सिर्फ वह विशाल किताब, मेज़ पर बंद पड़ी थी।

लेकिन अगर कोई उसे ध्यान से देखे, तो कवर पर एक नया उभरा हुआ चेहरा दिखाई देता — हर्मन का चेहरा, आंखें खुली, होंठ खुले, जैसे अब भी मदद के लिए पुकार रहा हो।

और पन्ने पलटने पर, शैतान के चित्र की मुस्कान अब और चौड़ी हो चुकी थी…



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