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शनिवार, 15 मार्च 2025

द बैकरूम्स: एक डरावनी कहानी

 **"द बैकरूम्स: एक डरावनी कहानी"**

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वह दिन शुरू हुआ जैसे कोई भी सामान्य दिन शुरू होता है। मैं अपने ऑफिस की इमारत में लिफ्ट की प्रतीक्षा कर रहा था। लिफ्ट का दरवाजा खुला और मैं अंदर चला गया। बटन दबाया, दरवाजा बंद हुआ, और फिर... कुछ अजीब हो गया। लिफ्ट हिली, एक अजीब सी आवाज़ हुई, और अचानक सब कुछ अंधेरा हो गया। जब रोशनी वापस आई, तो मैंने खुद को एक अलग ही दुनिया में पाया।


मैं एक लंबे, पीले रंग के कॉरिडोर में खड़ा था। दीवारें पुरानी और धुंधली थीं, जैसे किसी ने उन्हें दशकों पहले पेंट किया हो। फर्श पर एक गंदा कालीन बिछा हुआ था, जो मेरे कदमों पर चिपचिपी आवाज़ कर रहा था। हवा में एक अजीब सी गंध थी, जैसे किसी ने पुराने फर्नीचर को सड़ने दिया हो। मैंने चारों ओर देखा, लेकिन कोई दरवाजा नहीं था, कोई खिड़की नहीं थी, बस यही कॉरिडोर जो अंतहीन लग रहा था।


मैं चिल्लाया, "क्या कोई है?" लेकिन मेरी आवाज़ दीवारों से टकराकर वापस आ गई। कोई जवाब नहीं था। मैंने अपना फोन निकाला, लेकिन सिग्नल नहीं था। समय बीतता गया, और मैं चलता रहा। हर बार जब मैं सोचता कि मैं कहीं पहुंच गया हूं, तो वही पीले रंग के कॉरिडोर दिखाई देते। यह जगह मेरे दिमाग को खा रही थी।


फिर मैंने एक आवाज़ सुनी। एक फुसफुसाहट, जो दूर से आ रही थी। मैं उसकी ओर बढ़ा, लेकिन जितना मैं आगे बढ़ता, आवाज़ उतनी ही दूर होती जाती। अचानक, मैंने एक दरवाजा देखा। वह सामान्य दरवाजा नहीं था, बल्कि एक पुराना, लकड़ी का दरवाजा था, जिस पर खरोंच के निशान थे। मैंने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह बंद था। फिर मैंने एक और आवाज़ सुनी, इस बार पीछे से। मैंने मुड़कर देखा, और वहां कुछ था... कोई चीज़। एक छाया, जो मेरी ओर बढ़ रही थी। उसकी आंखें चमक रही थीं, और उसके हाथ लंबे और पतले थे, जैसे किसी जानवर के पंजे।

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मैं दौड़ा। जितनी तेजी से मैं भाग सकता था, उतनी तेजी से भागा। मेरी सांसें तेज हो गईं, और मेरा दिल धड़क रहा था। मैंने पीछे मुड़कर देखा, और वह छाया अभी भी मेरे पीछे थी। फिर मैंने एक और दरवाजा देखा, और इस बार वह खुला हुआ था। मैं अंदर घुस गया और दरवाजा बंद कर दिया। अंदर एक छोटा सा कमरा था, जिसमें एक टेबल और एक कुर्सी थी। टेबल पर एक पुरानी डायरी पड़ी हुई थी। मैंने उसे खोला, और उसमें लिखा था, "यहां से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। वे तुम्हें ढूंढ लेंगे।"


तभी मैंने दरवाजे पर खरोंच की आवाज़ सुनी। वह छाया वापस आ गई थी। मैंने चारों ओर देखा, लेकिन कोई रास्ता नहीं था। दरवाजा खुल गया, और वह चीज़ अंदर आ गई। मैंने चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन मेरी आवाज़ नहीं निकली। उसकी आंखें मुझे घूर रही थीं, और मैंने महसूस किया कि मैं डूब रहा हूं... अंधेरे में।


जब मैं होश में आया, तो मैं फिर से उसी पीले कॉरिडोर में था। लेकिन इस बार, मैं अकेला नहीं था। दूर से मैंने और लोगों को देखा, जो मेरी तरह खोए हुए थे। वे चिल्ला रहे थे, रो रहे थे, और कुछ तो बिल्कुल चुप थे। मैंने महसूस किया कि यह जगह नर्क से कम नहीं है। यहां से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। यह बैकरूम्स है, और एक बार जब आप यहां आ जाते हैं, तो आप कभी बाहर नहीं निकल सकते।

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और इसलिए, मैं यहां हूं, इस अंतहीन कॉरिडोर में, उस छाया के इंतजार में जो कभी भी वापस आ सकती है। अगर आप यह पढ़ रहे हैं, तो सावधान रहें। कहीं ऐसा न हो कि आप भी गलती से बैकरूम्स में फंस जाएं। क्योंकि एक बार यहां आने के बाद, कोई वापस नहीं जाता।

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