**द चौरासी गेट: खंडहर का अंधेरा सच (दिल्ली भारत)
दिल्ली का चौरासी गेट, जो अपने ऐतिहासिक खंडहर और रहस्यमयी किस्सों के लिए जाना जाता है, वहीं कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो इंसान के रोंगटे खड़े कर देती हैं। यह कहानी है एक ऐसे अनुभव की, जिसने दो लोगों की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया। यह कहानी न सिर्फ डरावनी है, बल्कि इसमें एक ऐसा रहस्य छुपा है, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा कि क्या वाकई मौत के बाद भी कुछ होता है?
### कहानी की शुरुआत
साल था **1992**। दिल्ली के एक प्रसिद्ध अखबार के लिए काम करने वाले पत्रकार अरुण और उसके दोस्त, फोटोग्राफर संजय, को चौरासी गेट के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा मिला। अरुण को भूत-प्रेत की कहानियों पर यकीन नहीं था, लेकिन संजय को अजीबोगरीब घटनाओं में गहरी दिलचस्पी थी। दोनों ने फैसला किया कि वे चौरासी गेट पर एक रात बिताएंगे और वहाँ की हकीकत को अपनी आँखों से देखेंगे।
रात के करीब **10 बजे**, अरुण और संजय चौरासी गेट पहुँचे। जगह बिल्कुल सुनसान थी। टूटे हुए मकान, जर्जर दीवारें, और हवा में एक अजीब सी खामोशी। दोनों ने एक पुराने मंदिर के पास अपना कैम्प लगाया। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि यह रात उनकी जिंदगी का सबसे डरावना अनुभव होगा।
### पहली घटना: रोने की आवाज
रात के करीब **11:30 बजे**, संजय ने एक आवाज सुनी। वह आवाज किसी के रोने जैसी थी, लेकिन वह इतनी दर्द भरी थी कि सुनने वाले के दिल को झकझोर दे। अरुण ने इसे अनसुना कर दिया, लेकिन संजय ने अपना कैमरा उठाया और आवाज की दिशा में चल पड़ा।
कुछ ही दूर चलने के बाद, संजय ने देखा कि एक सफेद कपड़े में लिपटी हुई एक औरत खंडहर के पीछे खड़ी है। उसका चेहरा धुंधला था, और उसकी आँखों से खून की धारा बह रही थी। संजय ने तुरंत अपना कैमरा उठाया और एक तस्वीर ली। लेकिन जब उसने तस्वीर देखी, तो उसमें कुछ भी नहीं था। सिर्फ खाली खंडहर नजर आ रहे थे।
अरुण ने संजय को वापस बुलाया, लेकिन संजय का दिल धड़क रहा था। उसने अरुण से कहा, "यहाँ कुछ गलत है। हमें यहाँ से निकलना चाहिए।" लेकिन अरुण ने इसे अनसुना कर दिया।
### दूसरी घटना: कुएँ का रहस्य
रात के करीब **1 बजे**, अरुण और संजय ने फिर से आवाजें सुनीं। इस बार यह आवाजें किसी के चिल्लाने जैसी थीं। अरुण ने अपनी टॉर्च जलाई और आवाज की दिशा में चल पड़ा।
कुछ ही दूर चलने के बाद, उन्हें एक पुराना कुआँ दिखाई दिया। कुएँ के पास एक बूढ़ा आदमी खड़ा था। उसका चेहरा पीला था, और उसकी आँखें लाल थीं। अरुण ने उससे पूछा, "आप यहाँ क्या कर रहे हैं?" लेकिन उस बूढ़े आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया। वह सिर्फ मुस्कुराया और कुएँ में कूद गया।
अरुण और संजय हैरान रह गए। उन्होंने कुएँ के पास जाकर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। ना ही कुएँ में पानी था, ना ही किसी के गिरने की आवाज आई थी। लेकिन कुएँ से एक अजीब सी गंध आ रही थी, जैसे कि वहाँ कुछ सड़ रहा हो।
### तीसरी घटना: लड़की का साया
रात के करीब **3 बजे**, अरुण और संजय ने फैसला किया कि वे यहाँ से चले जाएंगे। लेकिन जैसे ही वे अपना सामान समेटने लगे, उन्हें एक और आवाज सुनाई दी। यह आवाज किसी के हंसने जैसी थी। अरुण ने टॉर्च की रोशनी में देखा कि एक छोटी सी लड़की उनकी तरफ देख रही है। वह लड़की बिल्कुल सामान्य लग रही थी, लेकिन उसके पैर जमीन से ऊपर थे।
संजय ने फिर से अपना कैमरा उठाया, लेकिन इस बार कैमरा काम नहीं कर रहा था। लड़की ने उनकी तरफ हाथ बढ़ाया और चिल्लाई, "यहाँ मत आओ! यह तुम्हारी जगह नहीं है!"
अरुण और संजय डर के मारे वहाँ से भाग निकले। लेकिन जैसे ही वे भागे, उन्हें लगा कि कोई उनका पीछा कर रहा है। पीछे मुड़कर देखने पर उन्हें वही लड़की दिखाई दी, जो अब उनके पीछे हवा में तैर रही थी। उसकी आँखें पूरी तरह से काली थीं, और उसके मुँह से एक अजीब सी आवाज निकल रही थी, जैसे कि वह कुछ बोल रही हो।
### आखिरी घटना: खंडहर का अंधेरा
अरुण और संजय ने जितनी तेजी से भाग सकते थे, भागे। लेकिन जैसे ही वे मुख्य गेट की तरफ पहुँचे, उन्हें लगा कि वे एक ही जगह पर घूम रहे हैं। चारों तरफ सिर्फ खंडहर और अंधेरा था।
अचानक, उन्हें एक और आवाज सुनाई दी। यह आवाज किसी के गाने जैसी थी। अरुण ने देखा कि एक औरत खंडहर के ऊपर बैठी है और गा रही है। उसकी आवाज इतनी डरावनी थी कि अरुण और संजय का खून जम गया।
जैसे ही वे औरत की तरफ देखने लगे, वह औरत अचानक गायब हो गई। लेकिन उसकी आवाज अभी भी हवा में गूंज रही थी। अरुण और संजय ने अपनी आँखें बंद कर लीं और प्रार्थना करने लगे।
### अंत
सुबह होते ही अरुण और संजय को एक स्थानीय व्यक्ति ने बेहोश पड़ा पाया। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उन्होंने अपनी हालत स्थिर होने के बाद सारी घटना बताई। लेकिन उनकी बातों पर कोई यकीन नहीं किया।
हालाँकि, संजय के कैमरे में जो तस्वीरें थीं, वे सब धुंधली और बेकार थीं। लेकिन एक तस्वीर में कुछ अजीब सा था। उस तस्वीर में एक छोटी सी लड़की का साया दिखाई दे रहा था, जो हवा में तैर रही थी।
चौरासी गेट की यह कहानी आज भी लोगों के बीच प्रसिद्ध है। कई लोगों का मानना है कि यहाँ भूतों का वास है, जो अभी भी उन लोगों को परेशान करते हैं जो रात के समय यहाँ आते हैं। अरुण और संजय ने उस रात के बाद कभी चौरासी गेट का रुख नहीं किया।
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