**होली की अग्नि: एक अमर प्रतिशोध**
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव, **नीमगढ़**, में होली का त्योहार हमेशा से ही उत्साह और उमंग से भरा होता था। गाँव के लोग इस दिन रंगों से खेलते, गीत गाते और होलिका दहन की रात को एक साथ इकट्ठा होकर आग के चारों ओर नाचते। लेकिन आज से 500 साल पहले, इसी गाँव में एक घटना घटी जिसने होली के रंगों को खून से रंग दिया। यह कहानी है **मीरा** नाम की एक युवती की, जिसे होलिका दहन के दिन कुछ बेईमान लोगों ने झूठे आरोप लगाकर जिंदा जला दिया था। मीरा की आखिरी चीखों ने गाँव की हवा में एक श्राप भर दिया, और उस दिन से वह एक अमर आत्मा बन गई, जो हर साल होलिका दहन के दिन अपने मौत का बदला लेने आती है।
### मीरा की कहानी
मीरा नीमगढ़ गाँव की एक साधारण लड़की थी। वह खूबसूरत, मेहनती और दयालु थी। उसके पिता गाँव के मुखिया थे, और मीरा को गाँव के हर बच्चे की तरह प्यार और सम्मान मिलता था। लेकिन गाँव के कुछ बेईमान लोगों को मीरा की सफलता और लोकप्रियता से जलन होती थी। उन्होंने मीरा पर झूठे आरोप लगाए कि वह एक डायन है और गाँव में अशांति फैला रही है। होलिका दहन की रात, जब पूरा गाँव आग के चारों ओर इकट्ठा हुआ, तो उन बेईमान लोगों ने मीरा को पकड़कर होलिका की चिता में फेंक दिया। मीरा की चीखें गूंजती रहीं, लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की। उसकी मौत के साथ ही गाँव में एक अजीब सी सन्नाटा छा गया।
उस रात के बाद, गाँव में अजीब घटनाएं होने लगीं। होलिका दहन की रात, जो लोग मीरा की मौत के लिए जिम्मेदार थे, वे एक-एक करके रहस्यमय तरीके से मरने लगे। उनकी लाशें जली हुई मिलती थीं, मानो किसी ने उन्हें आग में झोंक दिया हो। गाँव के लोगों को एहसास हुआ कि मीरा की आत्मा अभी भी जिंदा है, और वह अपने मौत का बदला ले रही है।
### श्राप का विस्तार
धीरे-धीरे, मीरा की आत्मा का क्रोध इतना बढ़ गया कि वह हर साल होलिका दहन के दिन गाँव के 16 साल के युवाओं को मारने लगी। गाँव के लोग डरकर भागने लगे। कुछ ने पड़ोस के गाँवों में शरण ली, तो कुछ शहरों और विदेशों में जा बसे। लेकिन मीरा की आत्मा ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। वह हर साल होलिका दहन के दिन अपने शिकार को ढूंढ़कर उसे जलाकर मार डालती।
500 साल बीत गए, और अब साल 2025 है। आधुनिक दुनिया में इस कहानी को कोई यकीन नहीं करता। लोग इसे एक पुरानी अंधविश्वासी कहानी समझकर भूल चुके हैं। लेकिन मीरा की आत्मा अभी भी जिंदा है, और इस बार उसने अमेरिका में रह रहे एक परिवार को निशाना बनाया है। यह परिवार नीमगढ़ से अमेरिका जा बसा था, और अब उनके बेटे की उम्र 16 साल हो चुकी है।
### अंतरराष्ट्रीय टीम का गठन
इस बार, मीरा की आत्मा को रोकने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय टीम बनाई गई है। इस टीम में 12 लोग शामिल हैं, जो विभिन्न देशों से आए हैं। इनमें से कुछ पैरानॉर्मल एक्सपर्ट हैं, तो कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने जीवन में आत्माओं से सामना किया है। टीम का नेतृत्व **डॉ. अर्जुन मिश्रा**, एक भारतीय पुरातत्वविद और आत्मा विशेषज्ञ, कर रहे हैं। टीम के अन्य सदस्यों में शामिल हैं:
1. **एमिली कार्टर** (ब्रिटेन) - एक प्रसिद्ध आत्मा शोधकर्ता।
2. **प्रोफेसर हिरोशी तनाका** (जापान) - एक जापानी ओन्म्योजी (आत्मा विशेषज्ञ)।
3. **मारिया गोमेज़** (मेक्सिको) - एक शमन (Shaman) जो आत्माओं से संवाद कर सकती है।
4. **जॉन स्मिथ** (अमेरिका) - एक पूर्व सैनिक और पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर।
5. **अनीता राय** (भारत) - एक तांत्रिक जो काले जादू में माहिर है।
6. **डॉ. लियोनिद पेत्रोव** (रूस) - एक वैज्ञानिक जो आत्माओं के अस्तित्व को साबित करने की कोशिश कर रहा है।
7. **सारा अहमद** (मिस्र) - एक पुरातत्वविद जो प्राचीन श्रापों के बारे में जानती है।
8. **केविन ओ'कॉनर** (आयरलैंड) - एक पादरी जो दुष्ट आत्माओं को भगाने में माहिर है।
9. **लुईस फर्नांडीस** (ब्राजील) - एक मीडियम जो आत्माओं से बात कर सकता है।
10. **रिया कपूर** (भारत) - एक युवा शोधकर्ता जो मीरा की कहानी का अध्ययन कर रही है।
11. **अहमद अल-फारिसी** (सऊदी अरब) - एक जिन्न विशेषज्ञ जो दुष्ट आत्माओं से निपटने में माहिर है।
### नीमगढ़ में आगमन
टीम ने नीमगढ़ गाँव में डेरा डाला, जहाँ मीरा की आत्मा का सबसे ज्यादा प्रभाव है। गाँव अब वीरान हो चुका था, और केवल कुछ बुजुर्ग ही वहाँ रहते थे। टीम ने गाँव के बीचोंबीच एक यंत्र स्थापित किया, जो आत्माओं को बांधने की क्षमता रखता है। होलिका दहन की रात, टीम ने मीरा की आत्मा को बुलाने के लिए एक अनुष्ठान शुरू किया।
### मीरा का प्रकोप
जैसे ही अनुष्ठान शुरू हुआ, हवा में एक अजीब सी ठंडक छा गई। आकाश में काले बादल छा गए, और हवा में मीरा की चीखें गूंजने लगीं। अचानक, टीम के 8 सदस्य गायब हो गए। उनकी लाशें कभी नहीं मिलीं, मानो वे हवा में विलीन हो गई हों। बचे हुए 4 सदस्यों ने गाँव के पास स्थित एक गहरी गुफा में शरण ली। यह गुफा सदियों से मीरा की आत्मा का निवास स्थान मानी जाती थी।
गुफा के अंदर, उन्होंने मीरा की अस्थियों के अवशेष ढूंढ़ निकाले, जो अभी तक सुरक्षित थे। डॉ. अर्जुन ने एक प्राचीन मंत्र का उच्चारण करके मीरा की आत्मा को शांत करने की कोशिश की। लेकिन मीरा की आत्मा ने उन पर हमला कर दिया।
### अंतिम संघर्ष
अंत में, टीम के एक सदस्य, **एमिली**, ने अपनी जान की बाजी लगाकर मीरा की अस्थियों को गुफा की आग में फेंक दिया। इससे मीरा की आत्मा को शांति मिली, लेकिन एमिली और बाकी 3 सदस्यों की लाशें गुफा के अंदर ही मिलीं।
### समापन
आज, नीमगढ़ गाँव फिर से खुशहाल है, और होली का त्योहार बिना किसी डर के मनाया जाता है। लेकिन गाँव के लोग अभी भी उस गुफा के पास नहीं जाते, क्योंकि वे जानते हैं कि मीरा की आत्मा शायद अभी भी वहीं कहीं छुपी हुई है...
"मैं कहानियाँ नहीं लिखता, डर को शब्दों में बाँधता हूँ।"
**समाप्त**




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