**द बेलमी हंटेड मिरर: नर्क का दरवाजा**
19वीं शताब्दी के अंत में फ्रांस के एक छोटे से गाँव **सेंट-क्लेयर** में एक कुशल कारीगर **जीन-ल्यूक बेलमी** रहता था। जीन-ल्यूक को कला और शिल्प में महारत हासिल थी, लेकिन उसका जीवन दुखों से भरा हुआ था। उसकी पत्नी, **एलोडी बेलमी**, की मृत्यु एक रहस्यमयी बीमारी से हो गई थी, और उसके बाद उसकी एकमात्र बेटी, **मार्गोट**, भी अचानक बीमार पड़ गई। मार्गोट की मृत्यु ने जीन-ल्यूक को टूट कर रख दिया। वह अपनी बेटी को वापस पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार था।
### शीशे का निर्माण
जीन-ल्यूक ने सुना था कि शीशे में आत्माओं को कैद किया जा सकता है। उसने सोचा कि अगर वह एक विशेष शीशा बनाएगा, तो शायद वह अपनी बेटी की आत्मा को वापस ला सकेगा। उसने गाँव के बाहर एक सुनसान जगह पर एक गुप्त कार्यशाला बनाई और महीनों तक काम करता रहा। उसने शीशे को बनाने के लिए काले जादू और अजीबोगरीब रीति-रिवाजों का सहारा लिया। शीशे का फ्रेम उसने काले लकड़ी से बनाया, जिस पर उसने अजीब नक्काशी की, जो नर्क के दृश्यों को दर्शाती थी।
जब शीशा तैयार हुआ, तो वह इतना सुंदर था कि कोई भी उसे देखकर मोहित हो जाता। लेकिन जीन-ल्यूक को नहीं पता था कि वह सिर्फ एक शीशा नहीं, बल्कि **नर्क का दरवाजा** बना रहा था।
### शीशे का खुलना
एक अंधेरी रात को, जीन-ल्यूक ने शीशे को अपनी कार्यशाला में खोला। उसने मार्गोट की आत्मा को वापस लाने के लिए काले जादू का एक जटिल अनुष्ठान किया। लेकिन जैसे ही शीशा खुला, उसमें से एक ठंडी हवा का झोंका निकला, और कमरे का तापमान अचानक गिर गया। शीशे में से एक आकृति निकली, लेकिन वह मार्गोट नहीं थी। यह एक विकृत और बुरी आत्मा थी, जिसने जीन-ल्यूक को घूरते हुए एक भयानक चीख निकाली।
जीन-ल्यूक समझ गया कि उसने एक भयानक गलती कर दी है। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। शीशे से निकली आत्मा ने उसे बेहोश कर दिया और गाँव की ओर बढ़ गई।
### गाँव पर कहर
अगले दिन से ही गाँव में अजीबोगरीब घटनाएँ होने लगीं। लोगों ने रात में अजीब आवाजें सुनीं, और कुछ ने शीशे में अपने प्रतिबिंब के साथ एक और छवि देखी, जो उन्हें घूर रही थी। कुछ लोग अचानक गायब होने लगे, और उनके शव बाद में गाँव के बाहर मिले, जिनके चेहरे पर भय के निशान थे।
गाँव वालों को शक हुआ कि यह सब जीन-ल्यूक के शीशे की वजह से हो रहा है। उन्होंने उसकी कार्यशाला को ढूंढा और शीशे को वहाँ पाया। शीशे को देखते ही उन्हें एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई, और उन्हें लगा कि शीशे में से कोई उन्हें देख रहा है।
गाँव के बुजुर्गों ने फैसला किया कि शीशे को किसी सुरक्षित जगह पर छुपा दिया जाए। उन्होंने गाँव से दूर एक खंडहर जगह, जिसे **ले शातो नॉयर** (काला महल) कहा जाता था, में शीशे को छुपा दिया। लेकिन शीशा वहाँ भी नहीं रुका।
### शीशे का वापस आना
कुछ ही दिनों बाद, शीशा फिर से गाँव में दिखाई दिया। यह एक अजीब तरीके से लोगों के घरों में प्रकट होने लगा। कुछ लोगों ने दावा किया कि उन्होंने शीशे में एक औरत की छवि देखी, जो उन्हें हाथ से बुला रही थी। जो भी शीशे को देखता, वह पागल हो जाता या फिर गायब हो जाता।
गाँव वाले समझ गए कि यह शीशा कोई साधारण वस्तु नहीं है। यह नर्क का दरवाजा है, जो बुरी आत्माओं को इस दुनिया में ला रहा है। उन्होंने शीशे को नष्ट करने की कोशिश की, लेकिन हर बार यह फिर से प्रकट हो जाता।
### अंत
आखिरकार, गाँव वालों ने शीशे को एक पुराने कुएं में फेंक दिया और उसे ईंटों और पत्थरों से बंद कर दिया। लेकिन शीशे का अस्तित्व खत्म नहीं हुआ। कहा जाता है कि आज भी, जब कोई उस कुएं के पास जाता है, तो उसे एक महिला की रोने की आवाज सुनाई देती है। और कभी-कभी, शीशा किसी के घर में अचानक प्रकट हो जाता है, जैसे कि वह अपने अगले शिकार की तलाश में हो।
द बेलमी हंटेड मिरर आज भी एक रहस्य बना हुआ है, और इसकी कहानी लोगों को डराती है। क्या यह सच में नर्क का दरवाजा है, या फिर यह सिर्फ एक कारीगर की दुखभरी गलती का नतीजा है? इसका जवाब शायद कभी नहीं मिलेगा। लेकिन एक बात तय है – जो भी इस शीशे को देखता है, वह कभी सामान्य नहीं रह पाता।
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