भूतिया किताब: मृत्यु का तांडव
सैकड़ों साल पहले, एक रहस्यमयी किताब का ज़िक्र इतिहास में हुआ था - "मृत्युगाथा" । कहा जाता है
500 साल बाद...
वर्ष 2025। भारत के एक पुराने शहर कर्णगढ़ में खुदाई के दौरान पुरातत्वविदों को...मृत्युगाथा ।
डॉ. अरविंद त्रिपल, एक प्रसिद्ध इतिहासकार, पुस्तक के रहस्य को समझने के लिए उसे पढ़ने के लिए ले आए। लेकिन जैसे ही उन्होंने सबसे पहले पृष्ठ खोला, अजीब घटनाएँ घटित हो रही थीं। उनके कमरे में ग्लास अपने आप चटकने लगे, बिजली के बल्ब झपकने लगे, और ठन
उस रात, डॉ. त्रिलोकी की मृत्यु हो गई। उनका शरीर तो उजागर हो गया, लेकिन उनका चेहरा जमींदोज हो गया
शहर में तबाही शुरू...
अब तक
लोग डरने लगे। पूरे कर्णगढ़ में त्राहि-त्राहि मच गई। पुस्तक को लेकर कहानियाँ मोनोलैण्ड-
"ये किताब शैतान की लिखी हुई है...
ये किसी अभिशाप्त आत्मा का प्रकोप है...
किसी ने इसे पूरी तरह से पढ़ा, तो पूरी दुनिया खत्म हो जाएगी!"
एक दार्शनिक की भविष्यवाणी
जब ये खबर दूर-दूर तक की है, तो एक सिद्ध गायक, आचार्य रुद्रनाथ ,
"यह किताब नहीं, यह स्वयं मृत्यु है। इसे पढ़ने वाला केवल मरता नहीं है, बल्कि उसकी आत्मा हमेशा के लिए एक जादू यातना में खो जाती है!"
तां
अंत में क्या हुआ?
आचार्य रुद्रनाथ ने भविष
शहर के लोगों ने मिलकर किताब को एक गहरी कुँए में डाल दिया, जिसे फिर से लोहे की चाँदी से ढाँक दिया गया और श्मशान भूमि में ब
कहानी यहाँ ख़त्म नहीं होती।
आज भी कर्णगढ़ के उस पुराने श्मशान में अजीब घटनाएँ होती हैं। लोग कहते हैं कि आधी रात को वहां से फफड़ाते बदमाशों की आवाज आती है, और कभी-कभी कुआं से एक धीमा
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