## **अध्याय 1: अजनबी की चेतावनी**
शहर के बाहरी इलाके में स्थित *रेडवुड होटल* अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन स्थानीय लोगों के बीच एक अजीब सा अपमान का कारण भी था। इस होटल का एक कमरा, **कमरा नंबर 208**, एक रहस्य बन चुका था। जो भी आधिपत्य में शामिल है, वह रहस्यमय तरीके से मारा गया या फिर गायब हो गया। लेकिन साक्ष्यों की कमी में यह रहस्य साधारण पुस्तकें तक ही सीमित थी।
रोहित, एक उत्साही पत्रकार, इस होटल की कहानी में वहां की सच्चाई जानने के लिए हैरान रह गए। स्वीकारोक्ति में उसने अपना नाम दर्ज किया, कमरे की चाबी और कमरा।
"आपने कौन सा साथ लिया?" स्वागतकर्ता ने।
"208," रोहित ने बिना सोचे-समझे कहा।
मान्यतावादी के चेहरे का रंग उड़ गया। "वह कमरा... वह कमरा बुक नहीं किया जा सकता, सर," उसने चिंतित होकर कहा।
"क्यों? वहाँ क्या समस्या है?" रोहित ने लिखा प्रश्नचिन्ह।
"यहाँ से चल जाई, साहब। जो भी वहाँ जाता है, वह लौटकर नहीं आता," पास में एक बोर्ड स्टाफ ने कम्पाटी आवाज़ में कहा।
रोहित ने हंसकर को एक अंधविश्वासी कहा, जिसे उन्होंने जबरदस्ती ले लिया।
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## **अध्याय 2: पहली रात की त्रय**
कमरे में घुसते ही रोहित को एक अजीब सी ठंड महसूस हुई। बाहरी मौसम सामान्य था, फिर भी कमरे के अंदर एक अज्ञात भय का साया प्रकट हो रहा था।
उन्होंने कमरे का निरीक्षण किया। दीवारों पर पुरानी तस्वीरें लगी थीं, पलंग पर एक पुरानी मैट्रेस थी, और एक खिड़की जो बाहरी जंगल की ओर खुलती थी।
रात 12 बजे कमरे में अचानक तापमान गिर गया। रोहित को लगा जैसे कोई अदृश्य शक्ति कमरे में घूम रहा हो। अचानक, परमाणु का नल अपने आप चल गया।
वह जैसे ही नल बंद करने के लिए आगे बढ़ा, ग्लास में उसने अपनी परछाई के पीछे किसी और की झलक देखी। किसी की लाल चमकती उसे घूरती रही!
रोहित डरकर पीछे हट गया, लेकिन जब उसने मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था।
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## **अध्याय 3: मृत्यु का साया**
अगली सुबह, होटल के कर्मचारियों ने देखा कि रोहित का दरवाजा अंदर से बंद था।
जब चौथा दरवाजा नहीं खुला तो मैनेजर ने दरवाजा तोड़ दिया। अंदर का दृश्य देखकर सभी के रोंगटे हो गए।
रोहित का शरीर हवा में लटक रहा था, लेकिन फांसी की सजा नहीं थी। उसकी जड़ें हो गई थीं, और चेहरे पर दर्द और पीड़ा के निशान थे।
पुलिस आई, लेकिन उन्हें कोई सुराग नहीं मिला। इस होटल के रिकॉर्ड में 208 नंबर के कमरे में एक और रहस्यमयी मौत हो गई।
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## **अध्याय 4: होटल का इतिहास**
50 साल पुरानी थी इस रहस्यमयी कमरे की कहानी। 1975 में, एक राक्षसी *रघुनाथ* इसी होटल का 208 नंबर कमरा था।
वह जादू को नियंत्रित करने के लिए जादू का अभ्यास करती थी। लेकिन एक रात कुछ ग़लत हो गया।
होटल के छूटे ने अपने कमरे से टॉयलेट चिल्लाते हुए कहा। जब वे अंदर गए, तो रघुनाथ का शव मिला - उसकी मौत फटी हुई थी, और शरीर पर जंगल के निशान थे, मानो किसी अज्ञात शक्ति ने उसे नोंच डाला हो।
उनके निधन के बाद, होटल में अजीबोगरीब घटनाएँ घटीं, कोलोराडो, **कमरा 208** में।
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## **अध्याय 5: नए अतिथि**
कुछ महीने बाद, *स्नेहा* नाम की एक लड़की, जो थी एक घोस्ट हंटर, इस रहस्य की सच्चाई पता चली।
उन्होंने होटल में 208 नंबर का कमरा लिया, और वहां कैमरे और अन्य उपकरण सेट कर दिए।
रात के 2 बजे आकाश में दिखाई देने वाले रहस्यमयी कैमरे।
स्नेहा ने देखा कि कमरे में एक धुंधली परछाई उभर रही थी। अचानक, कुछ अदृश्य शक्तियों ने उसे देखा से खींच लिया!
वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी, लेकिन कोई उसकी आवाज़ नहीं सुन सका।
अगले दिन, होटल के कर्मचारियों ने दरवाजे देखे—कमरा खाली था!
स्नेहा **गायब** हो गई थी।
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## **अध्याय 6: सच्चाई का रहस्य**
कुछ दिन बाद, एक प्रसिद्ध तांत्रिक, *आचार्य विद्यानन्द*, होटल आये।
उसने अपने मंत्रों से कमरे के अंदर गुप्त शक्ति का जाग्रत किया। अचानक, हवा तेज़ हो गई और कमरे की खिड़कियाँ ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगीं।
फिर एक डरावनी आवाज़ गूंजी- "मैं आज़ाद नहीं हो सकता... कोई भी यहाँ नहीं बचेगा!"
यह *रघुनाथ* की आत्मा थी, जिसने अपनी मृत्यु के बाद इस कमरे को अपना पिंजरा बनाया था।
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## **अध्याय 7: अंतिम संघर्ष**
विद्यानंद ने मोम्बत्तियों का घेरा बनाकर प्रेत को एक विशेष अनुष्ठान कराया।
अचानक, एक काला धुआँ कमरे में, और एक विकराल छत दिखाई दी।
आचार्य ने मंत्रोच्चारण शुरू किया, और जैसे-जैसे मंत्र की शक्ति बढ़ी, शीर्ष थोलने लगी।
कमरे की दीवारों पर ख़ून से अजीब सा संकेत उभर आया।
अंततः, एक तेज़ विस्फोट हुआ, और रघुनाथ की आत्मा हवा में चीखती हुई विलीन हो गई।
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## **अध्याय 8: होटल का अंत**
रघुनाथ की आत्मा के जाने के बाद, सामान्य सामान्य हो गया।
लेकिन होटल के मालिक ने उसे बंद कर दिया।
कुछ ही महीनों में, रेडवुड होटल को बंद कर दिया गया और उसे गिरा दिया गया।
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## **अध्याय 9: यह क्या समाप्त हुआ?**
हालाँकि होटल गिरा दिया गया था, लेकिन उसके रिकॉर्ड से कभी-कभी अजीब आवाजें आती थीं।
कुछ लोगों का कहना था कि जब रात को कोई वहां जाता था, तो वह एक परछाई-लाल जलती आंखों के साथ दिखता था।
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## **अध्याय 10: मौत की फिल्म**
तीन साल बाद उसी जगह एक नया होटल बना।
पहली ही रात, **कमरा नंबर 208** में एक मेहमान की मौत हो गई।
क्या रघुनाथ की आत्मा सच में मुक्त हुई थी?
या फिर **मौत का यह गेम अभी बाकी था?**
(समाप्त)
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