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शनिवार, 15 फ़रवरी 2025

रहस्यमय हवेली

 # अध्याय 1: रहस्यमयी हवेली


गाँव के किनारे, पुराने पीपल के पेड़ के पास एक उजड़ी हुई हवेली थी। लोगों का कहना था कि वहाँ एक डरावनी आत्मा रहती थी, जिसे सब 'शीशे वाली डायन' के नाम से जानते थे। सूरज ढलते ही हवेली से अजीब-अजीब आवाज़ें आने लगतीं, और वहाँ जाने की हिम्मत किसी में नहीं थी।


बुज़ुर्गों की मानें तो यह हवेली कभी बहुत सुंदर और भव्य थी, लेकिन सौ साल पहले वहाँ कुछ ऐसा हुआ जिसने इसे डर और दहशत की जगह बना दिया।

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# अध्याय 2: शीला की खूबसूरती और घमंड


सौ साल पहले, इसी हवेली में शीला नाम की एक लड़की रहती थी। वह असाधारण रूप से सुंदर थी, और उसकी खूबसूरती की चर्चा दूर-दूर तक थी। लेकिन शीला को अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था। वह हमेशा खुद को आईने में निहारती रहती और दूसरों का मज़ाक उड़ाया करती।


गाँव में एक बूढ़ी औरत आई, जो दर-दर भटक रही थी। उसने शीला से खाने के लिए कुछ माँगा, मगर शीला ने उसका अपमान कर दिया। वह हँसते हुए बोली, "तू जैसी कुरूप औरत को कुछ देने से मेरा हाथ भी गंदा हो जाएगा।"


वृद्धा की आँखों में ग़ुस्सा झलक उठा। वह कोई साधारण औरत नहीं थी—वह एक तांत्रिक थी। उसने शीला को श्राप दिया, "तू अपने रूप की इतनी दीवानी है, तो अब इसे देखने के अलावा कुछ और नहीं देख पाएगी। जिस शीशे में तू देखेगी, वहीं कैद हो जाएगी!"


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# अध्याय 3: श्राप का असर


कुछ दिनों बाद, शीला में बदलाव दिखने लगे। वह हर वक्त खुद को शीशे में देखती और बाकी दुनिया से कटने लगी। उसके अंदर एक अजीब-सा आकर्षण जाग उठा, और वह आईने में घंटों अपनी तस्वीर निहारती रहती।


फिर एक दिन, उसने हवेली में एक बड़ा सा आईना मंगवाया। जब उसने उसमें खुद को देखा, तो शीशे में से एक काली परछाईं निकली और उसे भीतर खींच लिया। शीला की चीखें हवेली में गूंज उठीं, और फिर सब कुछ शांत हो गया।


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# अध्याय 4: हवेली का डर


उस दिन के बाद, हवेली में अजीब घटनाएँ होने लगीं। जो भी शीशे के पास जाता, वह गायब हो जाता। गाँववालों का मानना था कि शीला की आत्मा उस आईने में कैद हो चुकी थी और अब वह हर किसी को अपने साथ खींच लेना चाहती थी।


गाँव के कुछ बहादुर युवक हवेली में गए, लेकिन कोई लौटकर नहीं आया। उनके घरवालों ने बस इतना सुना कि हवेली से किसी औरत की फुसफुसाहट आ रही थी— "आ... देख तो सही... कितनी खूबसूरत हूँ ना?"


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# अध्याय 5: चित्र में छिपी सच्चाई


एक दिन, एक चित्रकार गाँव में आया। उसने हवेली को दूर से देखा और उसकी एक तस्वीर बनाई। जब वह तस्वीर पूरी हुई, तो उसमें शीशे में एक धुंधली परछाईं दिखने लगी। धीरे-धीरे, परछाईं स्पष्ट हुई, और शीला का चेहरा उभरने लगा।


चित्रकार ने डरते-डरते गाँववालों को दिखाया, और तभी हवा में अचानक ठंडी लहर दौड़ गई। लोगों ने महसूस किया कि कोई उन्हें देख रहा है।


क्या यह सिर्फ एक कहानी थी, या सच में शीला अब भी आईने में कैद थी? क्या तुम उस हवेली में

 जाकर सच का सामना करने की हिम्मत करोगे?



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